पॉलीथीन टेरिफ्थेलैट आमतौर पर पीईटी के रूप में जाना जाता है।इस प्रकार के प्लास्टिक पानी की बोतलों और सोडा की बोतलों में इस्तेमाल किया जाता है। घरों में इस्तेमाल होने वाली केचप की बोतल भी इसी प्लास्टिक की बनी होती है।
उच्च घनत्व वाले प्लास्टिक को एचडीपीई के रूप में जाना जाता है।ऐसे प्लास्टिक का इस्तेमाल का उपयोग दूध और जूस बोतलों में किया जाता है।हालांकि यह मूल रूप से एक मजबूत और टिकाऊ प्लास्टिक होता है। इसे अन्य प्लास्टिक की तुलना सुरक्षित माना जाता है।लेकिन इस तरह के प्लास्टिक के कारण हानिकारक रसायनों का भी रिसाव होता है।
इस प्लास्टिक को पीवीसी के रूप में भी जाना जाता है। यह एक बहुत ही कठोर लेकिन लचीला होता है। इसे प्लंबिंग पाइप जैसे हार्डवेयर उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पीवीसी का अन्य इस्तेमाल प्लास्टिक कंटेनर बच्चों के खिलौने और दवाओं के लिए रैपर में किया जाता है। पीवीसी में डीईएचपी होता है जिससे पुरुषों में समस्याएं हो सकती है । यह मानव हार्मोन्स को असंतुलित कर सकता है।
1. अस्थमा
आमतौर पर प्लास्टिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।प्लास्टिक उत्पादों में पाए जाने वाले फेथलेट रसायनों से अस्थमा का सबसे ज्यादा खतरा होता है। इससे सांस की नली में सूजन का खतरा भी होता है ।
प्लास्टिक के संश्लेषण में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) जैसे रसायनों का काफी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है और यह हमारे द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कई चीजों में होता है। बीपीए के कारण एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर के तंत्र को बाधित करता है। इससे उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ सकता है।
3. डायबिटीज
दरअसल प्लास्टिक को अधिक लचीला बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायनों के कारण शरीर में शुगर लेवल बढ़ जाता है और बाद में इसे संतुलित करने के लिए इंसुलिन का उपयोग किया जाता है। इन सब कारणों से प्लास्टिक के उपोयग से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है
प्लास्टिक के कारण कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है । प्लास्टिक को गर्म करने पर रसायनों का रिसाव होता है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक मानी जाती है। इनसे निकलने वाले बिस्फेनॉल ए के कारण कैंसर का खतरा उत्पन्न होता है।