चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने IVF के लिए जयपुर के महिला चिकित्सालय प्रशासन से इसके इलाज के खर्च का संपूर्ण आकलन करने के लिए कहा है। यह प्रस्ताव मंजूर होता है तो सरकारी के साथ निजी अस्पतालों में भी आईवीएफ पद्धति से नि:संतानता का इलाज नि:शुल्क मिलने की सौगात मिल सकती है। अभी इसके इलाज पर दंपतियों को लाखों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। कांग्रेस सरकार ने चिरंजीवी बीमा योजना को केन्द्र की आयुष्मान बीमा योजना में मर्ज कर लागू किया था।
लेकिन तब योजना का प्रचार सिर्फ चिरंजीवी के नाम से ही किया जाता था। भाजपा सरकार अंतरिम बजट में इसमें से चिरंजीवी शब्द हटाकर इसे मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य बीमा योजना नाम देकर बदलाव की शुरूआत पहले ही कर चुकी है।
IVF के लिए महिला चिकित्सालय से खर्च का आकलन करने के लिए कहा अभी प्रदेश में नि:संतानता के इलाज में दंपतियों को मोटी राशि करनी पड़ रही खर्च
पैकेज दरों की विसंगतियां दूर होंगी !
कांग्रेस सरकार के समय से ही निजी अस्पतालों का चिरंजीवी योजना की पैकेज दरों को लेकर विवाद चला आ रहा है। बड़ा विरोध अस्पतालों की श्रेणियां बनाए बगैर ही एक समान पैकेज दरें बड़े और छोटे अस्पतालों में लागू करने का है। इसके कारण बड़े निजी अस्पताल इस योजना में शामिल ही नहीं हुए। अब मौजूदा सरकार इस बड़ी विसंगति को दूर कर नए सिरे से पैकेज दरें लागू कर सकती है।25 लाख बीमा कटौती पर संशय
कांग्रेस सरकार ने बीमा योजना का दायरा पहले 5 लाख, फिर 20 लाख और उसके बाद 25 लाख रुपए तक बढ़ाया था। लेकिन भाजपा इस पर तब से ही सवाल उठाती आ रही है। मौजूदा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर भी इसको लेकर पूर्व सरकार पर निशाना साधते हुए कह चुके हैं कि योजना में अब तक एक मामले में अधिकतम 13 लाख रुपए खर्च हुए थे। भाजपा सरकार 25 लाख बीमा कवरेज को वापस लेना तो चाहती है, लेकिन आगामी 30 जून को प्रदेश में निकाय उप चुनाव को देखते हुए अभी इस पर फैसला लेने में सरकार असमंजस में है। चिकित्सा विभाग में इस पहलु पर भी विचार चल रहा है कि जब 25 लाख तक का क्लेम लेने वाले आ ही नहीं रहे हैं तो उसमें कटौती कर योजना का दायरा छोटा करने का संदेश नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसे में सभी सावधानी बरतते हुए सरकार आगे बढ़ रही है। आईवीएफ (IVF) क्या है? IVF (In Vitro Fertilization) एक आधुनिक चिकित्सा तकनीक है जिसका उपयोग उन दंपतियों के लिए किया जाता है जो स्वाभाविक तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाते। इसका हिंदी में अर्थ होता है “परखनली में निषेचन”।
किन परिस्थितियों में IVF की आवश्यकता होती है? In what situations is IVF needed?
IVF निम्नलिखित परिस्थितियों में सहायक हो सकता है:- महिला की समस्याएं: अगर महिला के अंडाशय में अंडाणु बनने या निष्कासित करने की समस्या हो, तो IVF सहायक हो सकता है।
- पुरुष की समस्याएं: अगर पुरुष में शुक्राणु की संख्या कम हो या शुक्राणु में गतिशीलता की समस्या हो, तो भी आईवीएफ का उपयोग किया जा सकता है।
- अनजान कारण: कई बार दंपतियों में कोई स्पष्ट समस्या नहीं होती, लेकिन फिर भी गर्भधारण नहीं हो पाता। ऐसी परिस्थितियों में भी आईवीएफ का सहारा लिया जा सकता है।
आईवीएफ प्रक्रिया कैसे काम करती है? How does the IVF procedure work?
IVF प्रक्रिया को समझने के लिए इसे कुछ आसान चरणों में बांटा जा सकता है:- अंडाणु संग्रहण: सबसे पहले महिला के अंडाशय से अंडाणु (Egg) एकत्रित किए जाते हैं। इसके लिए कुछ हार्मोनल दवाओं का उपयोग किया जाता है जिससे अंडाणुओं की संख्या बढ़ जाती है।
- शुक्राणु संग्रहण: पुरुष से शुक्राणु (Sperm) लिया जाता है। कभी-कभी शुक्राणु को संग्रहित करने के लिए सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
- निषेचन: अंडाणु और शुक्राणु को एक साथ परखनली में मिलाया जाता है ताकि निषेचन हो सके। इस प्रक्रिया में, शुक्राणु अंडाणु के साथ मिलकर भ्रूण (Embryo) बनाता है।
- भ्रूण विकास: निषेचन के बाद, भ्रूण को कुछ दिनों तक परखनली में विकसित होने दिया जाता है।
- भ्रूण प्रत्यारोपण: जब भ्रूण सही रूप से विकसित हो जाता है, तो उसे महिला के गर्भाशय (Uterus) में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
- गर्भावस्था परीक्षण: कुछ सप्ताह बाद, महिला का गर्भावस्था परीक्षण किया जाता है यह जांचने के लिए कि भ्रूण सही से गर्भाशय में प्रत्यारोपित हुआ है या नहीं।
आईवीएफ के लाभ और सीमाएं Advantages and Limitations of IVF
लाभ:- जो दंपति स्वाभाविक रूप से गर्भधारण नहीं कर सकते, उनके लिए यह एक वरदान साबित हो सकता है।
- यह तकनीक उन समस्याओं को भी हल कर सकती है जिनका इलाज अन्य तरीकों से संभव नहीं है।
- यह प्रक्रिया काफी महंगी हो सकती है।
- इसमें सफलता की गारंटी नहीं होती और कई बार प्रयास करने पड़ सकते हैं।
- आईवीएफ के दौरान कुछ जोखिम और साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।
विकास जैन