जेएनसीएएसआर, बेंगलुरु के न्यू कैमिस्ट्री यूनिट में स्थित बायोऑर्गेनिक केमिस्ट्री प्रयोगशाला के प्रोफेसर टी. गोविंदराजू ने एक बयान में कहा, हमारा लक्ष्य अग्नाशय (Pancreas) के कार्य की नकल करना था। अग्नाशय (Pancreas) शरीर में इंसुलिन (Insulin) का उत्पादन और रिलीज़ करने के लिए जिम्मेदार अंग है। यह प्रणाली शरीर में बढ़े हुए ग्लूकोज के स्तर के अनुसार लगातार और नियंत्रित मात्रा में इंसुलिन (Insulin) प्रदान करेगी, जिससे डायबिटीज को प्रबंधित करने में मदद मिलेगी।”
उन्होंने आगे कहा कि यह प्रणाली “टाइप 1 और टाइप 2 दोनों तरह के डायबिटीज (Diabetes) वाले लोगों के लिए इंसुलिन छोड़ने का एक अधिक कुशल और प्रभावी तरीका प्रदान कर सकती है।” Prof T. Govindaraju from the Bioorganic Chemistry Laboratory, New Chemistry Unit at JNCASR, Bengaluru (an autonomous institution under the Department of Science & Technology)
अध्ययन के नतीजे एसीएस एप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटरफेसेज में प्रकाशित हुए हैं। चूहों पर किए गए शुरुआती परीक्षणों से पता चला है कि यह प्रणाली नियंत्रित मात्रा में इंसुलिन (Insulin) पहुंचाने और ब्लड शुगर (Blood sugar) के स्तर को सामान्य बनाने में प्रभावी है। वैज्ञानिकों को अब उम्मीद है कि जल्द ही इसका परीक्षण इंसानों पर भी किया जा सकेगा।
अध्ययन के नतीजे एसीएस एप्लाइड मैटेरियल्स एंड इंटरफेसेज में प्रकाशित हुए हैं। चूहों पर किए गए शुरुआती परीक्षणों से पता चला है कि यह प्रणाली नियंत्रित मात्रा में इंसुलिन (Insulin) पहुंचाने और ब्लड शुगर (Blood sugar) के स्तर को सामान्य बनाने में प्रभावी है। वैज्ञानिकों को अब उम्मीद है कि जल्द ही इसका परीक्षण इंसानों पर भी किया जा सकेगा।
टीम का कहना है कि दवा पहुंचाने के अलावा, रेशम आधारित इस प्रणाली का उपयोग घाव भरने और विभिन्न बीमारियों के लिए टिश्यू इंजीनियरिंग में भी किया जा सकता है। (आईएएनएस)