एसआई जीन: मीठे की लालसा का ‘सुपर कंट्रोलर’
शोधकर्ताओं ने एक जीन का पता लगाया है जिसे “सुक्रेज-आइसोमाल्टोज” या एसआई जीन कहते हैं। यह जीन शरीर में सुक्रोज यानी साधारण शब्दों में कहें तो शुगर को पचाने की क्षमता को प्रभावित करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एसआई जीन की कमी वाले लोग मीठा पचाने में परेशानी महसूस कर सकते हैं, जिससे उनकी मीठा खाने की लालसा (Sugar cravings) में कमी आती है।
मोटापा और डायबिटीज पर पड़ सकता है असर
चूंकि चीनी के अधिक सेवन से मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज जैसी समस्याएं बढ़ती हैं, इस शोध के परिणाम मोटापा और डायबिटीज से निपटने में मददगार हो सकते हैं। शोध का यह निष्कर्ष गैस्ट्रोएंटरोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिससे वैज्ञानिक अब एसआई जीन को टारगेट कर इस समस्या का हल निकालने की दिशा में काम कर सकते हैं।
एसआई जीन और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का संबंध
शोध के अनुसार, एसआई जीन न केवल मीठा खाने की आदत पर असर डालता है, बल्कि इसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) से भी जोड़ा गया है। यह एक सामान्य फंक्शनल डिसऑर्डर है, जिसमें पेट से संबंधित कई समस्याएं होती हैं। एसआई जीन की कमी वाले व्यक्तियों में आईबीएस की संभावना अधिक होती है।
डॉ. पीटर एल्डिस का बयान: सुक्रोज को पचाने में जेनेटिक भिन्नता का असर
नॉटिंघम विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन में शोध टीम के प्रमुख, डॉ. पीटर एल्डिस का कहना है, “इस शोध से पता चलता है कि सुक्रोज को पचाने की हमारी क्षमता में जेनेटिक भिन्नता न केवल हमारे शुगर इन्टेक को प्रभावित कर सकती है, बल्कि यह भी तय कर सकती है कि हम मीठा खाना कितना पसंद करते हैं।”
चूहों पर हुए परीक्षण: एसआई जीन के बिना चूहों में दिखा प्रभाव
शोधकर्ताओं ने पहले इस जीन के बिना चूहों पर परीक्षण किया। इन चूहों में मीठे का सेवन और मीठे की पसंद में कमी देखी गई। इसका मतलब यह हुआ कि अगर इस जीन की कमी होती है, तो मीठे के प्रति आकर्षण स्वाभाविक रूप से कम हो सकता है।
मानव अध्ययन: ग्रीनलैंड और यूके में हजारों लोगों पर परीक्षण
शोध की पुष्टि के लिए इस टीम ने ग्रीनलैंड के 6,000 व्यक्तियों और यूके के 1,34,766 व्यक्तियों पर अध्ययन किया। परिणाम से यह निष्कर्ष निकाला गया कि एसआई जीन की कमी वाले लोगों में मीठे की लालसा कम हो सकती है।
क्या भविष्य में मीठा खाना नियंत्रित करना आसान होगा?
यह शोध मीठा खाने की आदत (Have a sweet tooth) को नियंत्रित करने के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश करता है। संभव है कि भविष्य में एसआई जीन पर आधारित उपचार या सप्लीमेंट्स तैयार किए जा सकें, जो लोगों को मीठे की लालसा को स्वाभाविक रूप से कम करने में मदद कर सकें।