पत्रिका ‘नेचर बायोटेक्नोलॉजी’ में इस मास्क के डिजाइन का उल्लेख है। इस मास्क के ऊपर डिस्पोजेबल सेंसर लगे हैं जिन्हें दूसरे मास्क में भी लगाया जा सकता है। इन सेंसर की मदद से न्य वायरसों के संक्रमण का भी पता चल सकेगा।
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इन सेंसरों को फेस मास्क ही नहीं बल्कि प्रयोगशालाओं में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों के परिधान आदि पर भी लगाया जा सकता है। इससे स्वास्थ्य कर्मियों को वायरस के खतरे पर नजर रखने में मदद मिलेगी।
अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में प्रोफेसर जेम्स कॉलिन्स के अनुसार, ‘‘ वायरस या बैक्टीरियल न्यूक्लिक एसिड का पता लगाने के लिए सिंथेटिक जैविक सेंसर का उपयोग किया जा सकता है। इनसे जहरीले रसायनों का भी पता चल सकता है।’’
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ऐसे काम करता है सेंसर
मास्क में एक जगह ऐसी बनाई गई है, जहां पानी होता है, जब व्यक्ति को टेस्ट करना हो, तो वह बटन दबाकर छोड़ सकता है। जब इस सेंसर को सामान्य फेस मास्क में लगाया गया, तो भी यह तकनीक मरीज़ की सांस में SARS-CoV-2 वायरस की मौजूदगी का पता लगाने में सक्षम थी।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ये बटन युक्त मास्क न्यूक्लिक एसिड-आधारित नैदानिक परीक्षणों, जैसे पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) की तुलना में 90 मिनट के अंदर सटीक रिजल्ट दे देता है।