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दवा के साथ मेहंदी वाली कोठी का जल पीने की सलाह देते थे चिकित्सक : Know the Benefits

सवाई मान सिंह अस्पताल के पहले अधीक्षक डॉ. राबर्ट हिलिंग रोगी की परची में दवा के साथ रामनिवास बाग स्थित मेहंदी वाली कोठी का गुणकारी जल पीने की सलाह भी देते थे।

जयपुरMay 28, 2024 / 10:59 am

Manoj Kumar

JAIPUR Heritage

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सवाई मान सिंह अस्पताल के पहले अधीक्षक डॉ. राबर्ट हिलिंग रोगी की परची में दवा के साथ रामनिवास बाग स्थित मेहंदी वाली कोठी का गुणकारी जल पीने की सलाह भी देते थे।

कोठी के बाहर सुबह से देर रात तक प्याऊ लगी रहती थी। वहां एक जलधारी कुएं से जल खींचता और दूसरा उससे राहगीरों की प्यास बुझाता। कोठी के शुद्ध व गुणकारी जल को पीने की हर आदमी में लालसा रहती थी।

सवाई मानसिंह सहित जयपुर के पूर्व राज परिवार के सदस्य मेहंदी की कोठी का जल पीते थे

सवाई मानसिंह सहित जयपुर के पूर्व राज परिवार के सदस्य मेहंदी की कोठी का जल पीते थे। तातेड़ खाना में मेहरा जाति के जलधारी इस कोठी का जल कावड़ से लाते थे। शहर के लोग भी इस जल को पीतल की चरी से कांधे पर रख कर ले जाते। सिया शरण लश्करी के मुताबिक गणगौर की पूजा करने वाली महिलाएं और लड़कियां भी ईसर-गणगौर को इस कोठी का पानी पिलाकर गीत गाती थी । धनाढ्य व सामंत वर्ग के लोगों की हवेलियों में जलधारी इस कुएं के जल की आपूर्ति करते थे।
Nahargarh Fort
Nahargarh Fort

मीठे जल में गंगा जल मिला कर महाराजा माधोसिंह को पिलाया जाता था

इसके अलावा नाहरगढ़ किले के नीचे हजारी बुर्ज के कुएं का पानी का सेवन तत्कालीन महाराजा माधोसिंह करते थे। इस मीठे जल में गंगा जल मिला कर उन्हें चांदी के गिलास में पानी पिलाया जाता था। गोबिंद देव जी के कुएं सहित शहर के अन्य विशेष कुओं के जल को और भी शुद्ध करने के लिए तांबे की प्लेट रखी जाती थी। गैटोर की छतरियों में सुदर्शन की खोळ के कदम्ब कुंड कूप का जल पैर संबंधी रोगों के लिए रामबाण था। कैदियों की भूख कम करने के लिए जेल के कुएं में सीसा डाला जाता था। गाय व अन्य पशुओं की प्यास बुझाने के लिए धर्म परायण लोग कुएं के पास बनी खेळी को भरवाते थे।
गोदिकों का रास्ता में बौंली वालों के बड़े कुएं का पानी भट्टारक जी की नसियां में चार्तुमास करने वाले जैन मुनियों के लिए ले जाया जाता था। जाट के कुएं के रास्ते का नाम भी यहां बने हुए कुएं से ही पड़ा है। बोरड़ी के रास्ते का कुआं अब जमीन में दफन हो गया है । आजादी के बाद चार दीवारी में करीब सात सौ कुएं थे। बरसात के पहले इन्हें गहरा करने और सफाई का अभियान चलाया जाता था।
पत्रिका हैरिटेज विंडो…जितेन्द्र सिंह शेखावत

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