इन पदार्थों में कई ऐसे तत्त्व पाए जाते है, जिनका लगातार सेवन करना नुकसानदायक साबित हो सकता है। कई रिसर्च में पता चला कि, ऐसे आर्टिफिशियल स्वीटनर लेने की वजह से कुछ समय के लिए याददाश्त चले जाने जैसी शिकायत हो सकती है और अधिक मात्रा में सेवन करने से ब्रेन की सेल्स भी नष्ट हो सकती है। लेकिन कुछ स्टडी में यह भी पाया गया है कि इन आर्टिफिशियल स्वीटनर को बंद करने पर ऐसे मरीजों की याददाश्त वापस आने लगी है।
हालांकि निर्माताओं ने लंबे समय से दावा किया है कि उनका मानव शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं है, वैज्ञानिक अब चेतावनी दे रहे हैं कि कुछ कंज्यूमर्स के माइक्रोबायोम को इस तरह से बदल सकते हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल बदल जाता है।
जर्मन नेशनल कैंसर सेंटर के वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर एरान एलिनाव ने बताया: 2014 में, उनकी टीम ने चूहों में इसी घटना की पहचान की और यह पता लगाने के लिए उत्सुक थे कि क्या मनुष्यों की भी इसी तरह की प्रतिक्रिया थी।
प्रो एलिनव ने कहा: “रिजल्ट से पता चलता है कि गैर-पोषक स्वीटनर के मानव उपभोग के जवाब में माइक्रोबायम परिवर्तन, कभी-कभी कंज्यूमर्स में अत्यधिक व्यक्तिगत तरीके से ग्लाइसेमिक परिवर्तनों को प्रेरित कर सकते हैं।”
प्रोफेसर एलिनव ने कहा: “हमें इस तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है कि गैर-पोषक स्वीटनर मानव शरीर के लिए निष्क्रिय नहीं हैं जैसा कि हम मूल रूप से मानते थे। प्रोफेसर एलिनव ने यह भी कहा: “आर्टिफिशियल स्वीटनर भी डायबिटीज का कारण बन सकता है। मेरे व्यक्तिगत विचार में केवल पानी पीना ही सबसे अच्छा उपाय लगता है।”
डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। ‘पत्रिका’ इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।