लो ब्लड प्रेशर कि स्थति में दिल की गति में औसत मानक से कम ब्लड का प्रवाह होता है, वहीं लो बीपी होने पर व्यक्ति का बीपी में सिस्टोलिक 90 mm Hg से कम औरडायास्टोलिक 60 mm Hg से कम होता है।
हाई बीपी का प्रभाव
उच्च रक्तचाप ये एक बेहद गंभीर समस्या है, इसके होने पर व्यक्ति का दिल बॉडी में सही ढंग से पंप नहीं कर पाता है, इसके होने पर स्ट्रोक, किडनी से जुड़ी समस्याएं और किडनी फेलियर की समस्या उत्पन्न हो सकती है, हाई ब्लड प्रेशर की रीडिंग की बात करें तो सिस्टोलिक 130 से 139 mm Hg के बीच और वहीं डायास्टोलिक 80 से 90 के बीच होती है।
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इसके होने पर व्यक्ति के बॉडी में लगातरा लगातार दर्द बना रहता है, वहीं ये दिक्क्तें ठंड के
मौसम में ज्यादा बढ़ता है, इसके होने पर सरदर्द, पसीना ज्यादा आना, और घबराहट की समस्या बनी रहती है।
इनके लक्षणों कि बात करें तो थकान होना, मन का स्थिर न होना, त्वचा पीली पड़ जाना, सही से दिखाई न देना ये सारे इसके लक्षण हो सकते हैं।
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