ऐसे में अगर उच्च रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित ना किया जाए, तो यह एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है। इससे आपको हार्ट अटैक, किडनी से संबंधित रोग अथवा तंत्रिका क्षति का सामना करना पड़ सकता है। वजन में लगातार कमी होना, चोट को ठीक होने में लंबा समय लगना, अत्यधिक थकान रहना और बार-बार पेशाब आना आदि टाइप-टू डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा, टाइप-टू डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति को अत्यधिक भूख और काफी डिहाइड्रेशन महसूस होता है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि एक अध्ययन के अनुसार, ब्लैक टी यानी काली चाय के सेवन से ब्लड ग्लूकोस लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है। पॉलिफिनॉल्स और ऐंटिऑक्सिडेंट्स की मौजूदगी के कारण काली चाय टाइप-टू डायबिटीज के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है। काली चाय का सेवन कार्बोहाइड्रेट के अब्जॉर्बशन को कम करके रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है।
जिन लोगों को हाई ब्लड शुगर लेवल की समस्या है वह ब्लैक टी यानी काली चाय का सेवन करके इन्सुलिन सेंसटिविटी में सुधार कर सकते हैं। साथ ही ब्लड प्रेशर को सही रखने, हृदय रोगों के खतरे को कम करने तथा ब्लड क्लॉट्स को जमने से रोकने के लिए भी काली चाय का सेवन कर सकते हैं। टाइप-टू डायबिटीज के जोखिम को कम करने के साथ ही फ्लोराइड युक्त ब्लैक टी का सेवन आपकी हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए भी फायदेमंद हो सकती है।