यह अध्ययन कार्डियोवैस्कुलर डायबिटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्क्लेरोस्टिन धमनियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है, खासकर टाइप 2 मधुमेह के रोगियों में। अтероस्क्लेरोसिस टाइप 2 मधुमेह की एक आम जटिलता है। इसमें कोलेस्ट्रॉल और वसा जैसे पदार्थ धमनियों में जमा हो जाते हैं, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
अध्ययन में 121 स्वस्थ लोगों और 139 टाइप 2 मधुमेह रोगियों को शामिल किया गया था। जिनमें से 48 को हृदय रोग था और 91 को नहीं था। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन टाइप 2 मधुमेह रोगियों को हृदय रोग था उनमें स्क्लेरोस्टिन का स्तर काफी अधिक था। इससे पता चलता है कि इस प्रोटीन और एथेरोस्क्लेरोसिस के बीच एक सम्बन्ध हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि स्क्लेरोस्टिन धमनियों के कैल्सीफिकेशन को कम करने में मदद करता है, जो एथेरोस्क्लेरोसिस के विकास से जुड़ा हुआ है। अध्ययन के अनुसार, “उन्होंने पाया कि स्क्लेरोस्टिन के अधिक उत्पादन से कैल्शियम जमाव कम हो गया, कोशिकाओं का विभाजन और सूजन कम हो गया, और कोशिकाओं के जीवित रहने की संभावना बढ़ गई।”
यह अध्ययन टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए एक उम्मीद की किरण है। स्क्लेरोस्टिन के स्तर को बढ़ाने के नए तरीके खोजे जा सकते हैं, जिससे हृदय रोग के खतरे को कम किया जा सके।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह अध्ययन प्रारंभिक है और अभी और शोध की आवश्यकता है। स्क्लेरोस्टिन के स्तर को बढ़ाने के लिए किसी भी उपचार का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।