वहीं डेंगू से बचने के लिए कई तरह के घरेलू नुस्खे अपनाए जाते हैं, जिनमें से पपीते के पत्तों का रस भी एक है। आज हम आपको बताएंगे कि पपीते के पत्ते का रस डेंगू के प्रति कितना प्रभावी है और इसको लेकर मेडिकल साइंस क्या कहती है।
पपीते के पत्तों के रस में क्या पाया जाता है
बता दें कि डॉक्टर्स डेंगू के इलाज में पपीते के पत्तों की भूमिका को लेकर स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं कहते। Indianpediatrics.net वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पपीते के तरल अर्क में पापैन, साइमोपापैन, सिस्टाटीन, एल-टोकोफेरोल, एस्कॉर्बिक एसिड, फ्लैवोनॉयड्स, सियानोजेनिक ग्लूकोसाइड्स और ग्लूकोसिनोटेट्स पाया जाता है। ये सभी एंटीऑक्सीडेंट हैं, जो ये एंटी ट्यूमर एक्टिविटी करते हैं। इनसे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत होता है।
बता दें कि डॉक्टर्स डेंगू के इलाज में पपीते के पत्तों की भूमिका को लेकर स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं कहते। Indianpediatrics.net वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पपीते के तरल अर्क में पापैन, साइमोपापैन, सिस्टाटीन, एल-टोकोफेरोल, एस्कॉर्बिक एसिड, फ्लैवोनॉयड्स, सियानोजेनिक ग्लूकोसाइड्स और ग्लूकोसिनोटेट्स पाया जाता है। ये सभी एंटीऑक्सीडेंट हैं, जो ये एंटी ट्यूमर एक्टिविटी करते हैं। इनसे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत होता है।
बढ़ जाती हैं प्लेटलेट्स
इसके साथ ही पपीते के पत्ते के रस को लेकर जानवरों पर भी अध्ययन किया गया है, इसमें सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। बताया गया कि पपीते के पत्तों के रस से जानवरों की सेहत में कई तरह के सुधार देखे गए हैं। खास तौर पर इससे उनमें प्लेटलेट्स और रेड ब्लड सेल की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
इसके साथ ही पपीते के पत्ते के रस को लेकर जानवरों पर भी अध्ययन किया गया है, इसमें सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। बताया गया कि पपीते के पत्तों के रस से जानवरों की सेहत में कई तरह के सुधार देखे गए हैं। खास तौर पर इससे उनमें प्लेटलेट्स और रेड ब्लड सेल की संख्या में वृद्धि देखी गई है।
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