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स्वास्थ्य

कम उम्र के लोगों में Colon Cancer का बढ़ता खतरा: विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

Increasing graph of colon cancer in young age : विशेषज्ञों ने बताया कि 50 वर्ष से कम आयु के वयस्कों में कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ते मामलों में हो रही वृद्धि बेहद चिंताजनक है।

जयपुरAug 11, 2024 / 02:45 pm

Manoj Kumar

Increasing graph of colon cancer in young age

Increasing graph of colon cancer in young age

Colon Cancer on the Rise Among Young Adults : विशेषज्ञों ने बताया कि 50 वर्ष से कम आयु के वयस्कों में कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ते मामलों में हो रही वृद्धि बेहद चिंताजनक है।
भारत में कोलन कैंसर (Colon Cancer) एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता का विषय बनता जा रहा है। यह सातवें सबसे आम कैंसर के रूप में उभर रहा है। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरी क्षेत्रों में इसके मामले ज्‍यादा देखने को मिल रहे हैं।

कोलन कैंसर के लिए आहार, जीवनशैली, वंशानुगत कारण जिम्मेदार Diet, lifestyle, hereditary factors responsible for colon cancer

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार भारत में पुरुषों में 100,000 में से 4.3 प्रतिशत को और 100,000 महिलाओं में 3.4 प्रतिशत को ही कोलोरेक्टल कैंसर होता है। यह कैंसर भारत में होने वाले सभी प्रकार के कैंसर से होने वाली मौतों में से 8.2 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।

युवाओं में तेजी से फैल रहा कोलन कैंसर Colon cancer is spreading rapidly among the youth

कंसल्टेंट रेडिएशन और क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. नीरज ढींगरा ने बताया, ” वृद्ध लोगों को होने वाला कोलोरेक्टल कैंसर (Colon Cancer) अब भारत में युवा वयस्कों में चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि कोलोरेक्टल कैंसर की दर में 20.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें 50 वर्ष से कम आयु के लोगों में यह मामले ज्‍यादा देखने को मिल रहे हैं।”
कोलोरेक्टल कैंसर (Colon Cancer) पाचन तंत्र के हिस्से कोलन या मलाशय में उत्पन्न होता है। यह आमतौर पर पॉलीप्स नामक कोशिकाओं के छोटे, सौम्य समूहों के रूप में शुरू होता है, जो समय के साथ कैंसर बन सकता है।
वैसे तो कोलोरेक्टल कैंसर 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में अधिक आम रहा है। लेकिन हाल ही में किए गए शोधों से इस प्रवृत्ति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत मिलता है।

31 से 40 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों में तेजी से बढ़ रहा है कोलन कैंसर Colon cancer is increasing rapidly among young adults aged 31 to 40 years

Increasing graph of colon cancer in young age
Increasing graph of colon cancer in young age

दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान द्वारा 2023 में किए गए एक शोध से पता चला है 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को होने वाला यह कैंसर अब 31 से 40 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों में तेजी से बढ़ रहा है।
डॉ. ढींगरा ने कहा, “50 वर्ष से कम आयु के वयस्कों में मामलों में वृद्धि चिंताजनक है और यह बताता है कि जीवनशैली, आहार और अन्य कारणों से रिस्क बढ़ रहा है, इससे युवा पीढ़ी असमान रूप से प्रभावित हो रही है।”
कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal cancer) का अगर समय पता चल जाए तो इलाज संभव है और इससे जीवन दर भी बढ़ सकती है।

इसके आम लक्षणों में मल त्याग की आदतों में बदलाव (दस्त या कब्ज), मल में खून आना, पेट में दर्द या बेचैनी, बिना वजह वजन कम होना और थकान शामिल हैं।
डॉ. ढींगरा ने कहा कि युवा वयस्कों में बढ़ते मामलों को देखते हुए, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए कोलोरेक्टल कैंसर को एक संभावित निदान के रूप में विचार करना आवश्यक है। अगर लक्षण दिखते हैं तो उन्हें 50 वर्ष से कम आयु के रोगियों में को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

एस्टर आर.वी. अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. जगन्नाथ दीक्षित ने बताया, ”भारत में कोलन कैंसर के रोगियों की पांच साल तक जीवित रहने की दर 40-50 प्रतिशत के बीच है, जो कई पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है, इसका कारण देर से निदान और स्वास्थ्य सेवा तक उनकी सीमित पहुंच है।”
विशेषज्ञों ने कहा कि इस पर चिकित्सा समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्माताओं दोनों को तत्काल ध्यान देने और कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal cancer) के जोखिम को कम करने में मदद के लिए निवारक उपायों और नियमित जांच का आह्वान किया।
डॉ. दीक्षित के मुताबिक, “रोकथाम रणनीतियों में उच्च फाइबर आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचना महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने आगे कहा कि, उपचार के विकल्पों में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी से लेकर लक्षित चिकित्सा और इम्यूनोथेरेपी के साथ-साथ रोगी को सर्पोटिव केयर को भी शामिल करने की आवश्यकता होती है। इससे इलाज के दौरान उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को मैनेज करने में मदद मिल सकती है।
–आईएएनएस

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