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स्वास्थ्य

किडनी की समस्या बन सकती है स्ट्रोक का खतरा

विशेषज्ञों का मानना है कि किडनी फेलियर (Kidney disease and stroke) आपके स्ट्रोक कारण बन सकती है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित शोध का कहना है कि किडनी फेलियर वाले लोगों में दिल का दौरा या स्ट्रोक होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है

जयपुरNov 06, 2024 / 01:37 pm

Puneet Sharma

Kidney disease and stroke

Kidney disease and stroke

Kidney disease and stroke : विशेषज्ञों के अनुसार हाई ब्‍लड प्रेशर, हाई ब्‍लड शुगर, मोटापा और असामान्य कोलेस्ट्रॉल जैसे मेटाबोलिक रिस्क फैक्टर किडनी की समस्याओं से बंधे हुए है और इसके कारण किडनी रोग के मरीजों में स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) को स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

क्या कहती है यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित शोध : What does the research published in the European Heart Journal say

यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित शोध का कहना है कि किडनी फेलियर वाले लोगों में दिल का दौरा या स्ट्रोक होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। अध्ययन का मानना है कि ऐसे लोगों का मरने का जोखिम भी ज्यादा पाया गया है।

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इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पीएन रेनजेन ने आईएएनएस को जानकारी दी कि जिन मरीजों का ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट कम होता है, उन्हें स्ट्रोक का सामना करने की संभावना 40 प्रतिशत अधिक होती है। इसके अतिरिक्त, क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) की एक सामान्य विशेषता प्रोटीनुरिया, यानी मूत्र में अतिरिक्त प्रोटीन की उपस्थिति, स्ट्रोक के जोखिम को लगभग 70 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है।
डॉ. पीएन रेनजेन का कहना है कि सीकेडी, मेटाबॉलिक सिंड्रोम (मेट्स) और स्ट्रोक के बीच अंतर्संबंध महत्वपूर्ण और जटिल है। मोटापा, उच्च रक्तचाप, डिस्लिपिडेमिया और इंसुलिन प्रतिरोध से चिह्नित मेटएस सी.के.डी. और स्ट्रोक सहित हृदय संबंधी बीमारियों के लिए भी एक प्रमुख जोखिम कारको में से एक है।

सीकेडी को लेकर क्या कहती है शोध : What does research say about CKD

शोध का मानना है कि मेट्स से प्रभावित व्यक्तियों में सीकेडी का विकास होने का जोखिम उन लोगों की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक होता है, जो इस बीमारी से ग्रसित नहीं हैं।
रेनजेन ने कहा, इन परिस्थितियों को जोड़ने वाले तंत्र में ऑक्सीडेटिव तनाव, सूजन और एंडोथेलियल डिसफंक्शन शामिल हैं, जो किडनी के कार्य को प्रभावित करते हैं और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाते हैं।

न्यूरोलॉजी सलाहकार डॉ. दर्शन दोशी के अनुसार : According to Dr. Darshan Doshi, Neurology Consultant

डॉ. दर्शन दोशी, जो पी. डी. हिंदुजा अस्पताल और मेडिकल रिसर्च सेंटर में न्यूरोलॉजी के सलाहकार हैं, ने आईएएनएस को जानकारी दी कि पुरानी सूजन, इंसुलिन प्रतिरोध और संवहनी क्षति के बीच संबंध स्ट्रोक और मेटाबोलिक सिंड्रोम को जोड़ता है।
दोशी ने बताया कि मेटाबोलिक सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्तियों में स्ट्रोक का जोखिम अक्सर बढ़ जाता है, और यह खतरा क्रोनिक किडनी रोग से प्रभावित लोगों में और भी अधिक होता है। विशेष रूप से, डायलिसिस पर निर्भर रोगियों में इस्कीमिक और हेमोरेजिक स्ट्रोक के प्रति संवेदनशीलता अधिक होती है।

स्ट्रोक जोखिम से बचने के लिए उपाय : Tips to reduce the risk of stroke

विशेषज्ञों ने जोखिम को कम करने के लिए अपनी राय रखी और कहा कि यदि आपको इसके जोखिम से बचना है तो आपको जीवनशैली में बदलाव के साथ ब्‍लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल और वजन कम करने पर ध्यान देना होगा।

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