इस नए तरीके से फेफड़ों के कैंसर के पता लगाने के लिए अभी इस्तेमाल होने वाले सीटी स्कैन की जगह ली जा सकती है, खासकर गरीब देशों में जहां सीटी स्कैन की सुविधा आसानी से उपलब्ध नहीं है।
एमआईटी की प्रोफेसर संगीता भाटिया ने कहा, “दुनिया भर में, कम और मध्यम आय वाले देशों में कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण धुआं और प्रदूषण है, इसलिए इन देशों में इस तरह की तकनीक का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।”
शोधकर्ताओं ने चूहों पर इस तकनीक का परीक्षण किया, जिनमें आनुवंशिक रूप से फेफड़ों के ट्यूमर विकसित किए गए थे। उन्होंने पाया कि यह तरीका शुरुआती स्तर के फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने में सटीक है।
इंसानों में इस्तेमाल के लिए, अधिक सेंसर की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह कई पेपर स्ट्रिप्स का उपयोग करके हासिल किया जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक चार अलग-अलग डीएनए बारकोड का पता लगाता है।
मुख्य बातें: – एमआईटी की इंजीनियर ने फेफड़ों के कैंसर का जल्दी पता लगाने का नया तरीका खोजा।
– इस तरीके में इनहेलर या नेबुलाइजर से लिए जाने वाले सेंसर और पेपर टेस्ट स्ट्रिप का इस्तेमाल होता है।
– यह तरीका गरीब देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
– मुझे उम्मीद है कि यह अनुवाद आपके लिए मददगार रहा।
(IANS)
– इस तरीके में इनहेलर या नेबुलाइजर से लिए जाने वाले सेंसर और पेपर टेस्ट स्ट्रिप का इस्तेमाल होता है।
– यह तरीका गरीब देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
– मुझे उम्मीद है कि यह अनुवाद आपके लिए मददगार रहा।
(IANS)