कोलोस्ट्रम: पहला दूध और इसका महत्व Colostrum: The first milk and its importance
Colors of Breast milk : बच्चे के जन्म के तुरंत बाद जो दूध आता है, उसे कोलोस्ट्रम (Colostrum) कहते हैं। यह दूध गाढ़ा और हल्के पीले रंग का होता है। इसमें बीटा-कैरोटीन की उच्च मात्रा होती है, जो इसे इस रंग की विशेषता देती है। कोलोस्ट्रम (Colostrum) का सेवन बच्चे के लिए अत्यंत लाभकारी होता है क्योंकि इसमें बहुत सारे एंटीबॉडी होते हैं, जो बच्चे की इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं। यह दूध आमतौर पर जन्म के चार से पांच दिनों तक आता है।ट्रांजिशन मिल्क: रंग में बदलाव और पोषक तत्व Transition milk: colour change and nutrients
Colors of Breast milk : कोलोस्ट्रम के बाद, माताओं को जो दूध मिलता है, उसे ट्रांजिशन मिल्क कहा जाता है। यह दूध पहले की तुलना में अधिक पतला होता है और इसका रंग भी हल्का होता है। ट्रांजिशन मिल्क में पानी की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह बच्चे को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। इस दूध के रंग में बदलाव एक सामान्य प्रक्रिया है और इससे माताओं को चिंतित नहीं होना चाहिए।मैच्योर मिल्क और फोरमिल्क: अंतिम चरण Mature Milk and Foremilk: The Final Stage
जन्म के लगभग दो हफ्ते बाद, माताओं को मैच्योर मिल्क मिलने लगता है। इसका रंग दूध में फैट की मात्रा पर निर्भर करता है। यदि दूध में फैट की मात्रा कम होती है, तो वह पतला और “फोरमिल्क” के नाम से जाना जाता है। फोरमिल्क का रंग आमतौर पर हल्का होता है और यह भी बच्चे के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करता है।Breastfeeding : विशेषज्ञ की राय
ब्रेस्टमिल्क के रंग (Colors of Breast milk) में बदलाव एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और यह दूध की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करता है। माताओं को इस प्रक्रिया को समझना चाहिए और किसी भी प्रकार की चिंता से बचना चाहिए। सही जानकारी प्राप्त करने से नई माताएं अधिक आत्म-विश्वास से भरपूर हो सकती हैं और अपने बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर तरीके से समझ सकती हैं।