मिट्टी एक नाम अनेक
भारत में काली मिट्टी अन्य मिट्टियों में सबसे अलग दिखाई देती है। काली मिट्टी का काला रंग लोहे की अधिकता के कारण होता है। काली मिट्टी के अलावा इसे श्रेगुण, रेगुर, चिकनी मिट्टी, कपास की मिट्टी, और लावा मिट्टी भी कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काली मिट्टी को चेरनोजम कहते हैं। नाइट्रोजन, पोटाश और ह्यूमस की कमी के बावजूद इसमें कपास की खेती सर्वोत्तम होती है। इसका काला रंग टिटेनीफेरस मैग्नेटाइड एंव जीवांश के कारण होता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश में यह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इसमें मैग्नेशियम,चूना और लौह तत्व व कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता होती है क्योंकि यह दक्कन के ट्रैप की लावा चट्टानों टूटने-झडऩे से बनी हुई मिट्टी है। मध्य प्रदेश में मालवा पठार पर भी काली मिट्टी पाई जाती है। स्थानीय भाषा में इसे तुलाई वाली मिट्टी भी कहा जाता है क्योंकि इसकी प्रमुख विशेषता इसकी देर तक जल धारण करने की क्षमता है्र। वहीं काली मिट्टी बहुत जल्दी चिपचिपी हो जाती है तथा सूखने पर इस में दरारें पड़ जाती हैं इसी गुण के कारण काली मिट्टी को जुताई वाली मिट्टी कहा जाता है।
भारत में काली मिट्टी अन्य मिट्टियों में सबसे अलग दिखाई देती है। काली मिट्टी का काला रंग लोहे की अधिकता के कारण होता है। काली मिट्टी के अलावा इसे श्रेगुण, रेगुर, चिकनी मिट्टी, कपास की मिट्टी, और लावा मिट्टी भी कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काली मिट्टी को चेरनोजम कहते हैं। नाइट्रोजन, पोटाश और ह्यूमस की कमी के बावजूद इसमें कपास की खेती सर्वोत्तम होती है। इसका काला रंग टिटेनीफेरस मैग्नेटाइड एंव जीवांश के कारण होता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश में यह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इसमें मैग्नेशियम,चूना और लौह तत्व व कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता होती है क्योंकि यह दक्कन के ट्रैप की लावा चट्टानों टूटने-झडऩे से बनी हुई मिट्टी है। मध्य प्रदेश में मालवा पठार पर भी काली मिट्टी पाई जाती है। स्थानीय भाषा में इसे तुलाई वाली मिट्टी भी कहा जाता है क्योंकि इसकी प्रमुख विशेषता इसकी देर तक जल धारण करने की क्षमता है्र। वहीं काली मिट्टी बहुत जल्दी चिपचिपी हो जाती है तथा सूखने पर इस में दरारें पड़ जाती हैं इसी गुण के कारण काली मिट्टी को जुताई वाली मिट्टी कहा जाता है।
मिट्टी है जीवन का आधार
मिट्टी में विभिन्न प्रकार के क्षारीय, विटामिन, खनिज, धातु, रासायन आदि की उपस्थिति उसे औषधीय गुणों से परिपूर्ण बनाती है। धरातल की जो ऊपरी परत पेड़-पौधों के लिए जीवाश्म खनिज अंश प्रदान करती है वो मिट्टी ही होती है। मध्य प्रदेश का क्षेत्र अत्यंत प्रचीन भूखंड का हिस्सा है एवं चट्टानों का बना हुआ है, इसलिए यहां काली मिट्टी की प्रचुरता है। यहां की मिट्टी भी इन्हीं चट्टानों से बनी हुई है। धरातल पर उगने वाले हर पेड़-पौधे के गुण मिट्टी से ही आते हैं जो उसमें पहले से ही मौजूद होते हैं। मिट्टी कई पकार की होती है तथा इसके गुण भी अलग-अलग होते हैं। उपयोगिता के दृष्टिकोण सें पहला स्थान काली मिट्टी का है।
मिट्टी में विभिन्न प्रकार के क्षारीय, विटामिन, खनिज, धातु, रासायन आदि की उपस्थिति उसे औषधीय गुणों से परिपूर्ण बनाती है। धरातल की जो ऊपरी परत पेड़-पौधों के लिए जीवाश्म खनिज अंश प्रदान करती है वो मिट्टी ही होती है। मध्य प्रदेश का क्षेत्र अत्यंत प्रचीन भूखंड का हिस्सा है एवं चट्टानों का बना हुआ है, इसलिए यहां काली मिट्टी की प्रचुरता है। यहां की मिट्टी भी इन्हीं चट्टानों से बनी हुई है। धरातल पर उगने वाले हर पेड़-पौधे के गुण मिट्टी से ही आते हैं जो उसमें पहले से ही मौजूद होते हैं। मिट्टी कई पकार की होती है तथा इसके गुण भी अलग-अलग होते हैं। उपयोगिता के दृष्टिकोण सें पहला स्थान काली मिट्टी का है।
काली मिट्टी के औषधीय गुण
काली मिट्टी के लेप से शरीर को ठंडक पहुंचती है। साथ ही यह विष के प्रभाव को भी दूर करती है। यह सूजन मिटाकर तकलीफ खत्म करने में भी सहायक है। जलन होने, घाव होने, विषैले फोड़े और चर्मरोग जैसे खाज-खुजली में काली मिट्टी विशेष रूप से उपयोगी होती है। शरीर में रक्त को साफ करने और उसमें विषैले पदार्थों के जमाव को भी यह मिट्टी कम करती है। पेशाब रुकने पर यदि पेड़ू के ऊपर काली मिट्टी का लेप किया जाता है तो पेशाब की रुकावट समाप्त हो जाती है। मधुमक्खी, कनखजूरा, मकड़ी, ततैये, बर्रे और बिच्छू के डंक मारे जाने पर प्रभावित स्थान पर तुरंत काली मिट्टी का लेप लगाने से लाभ मिलता है।
काली मिट्टी के लेप से शरीर को ठंडक पहुंचती है। साथ ही यह विष के प्रभाव को भी दूर करती है। यह सूजन मिटाकर तकलीफ खत्म करने में भी सहायक है। जलन होने, घाव होने, विषैले फोड़े और चर्मरोग जैसे खाज-खुजली में काली मिट्टी विशेष रूप से उपयोगी होती है। शरीर में रक्त को साफ करने और उसमें विषैले पदार्थों के जमाव को भी यह मिट्टी कम करती है। पेशाब रुकने पर यदि पेड़ू के ऊपर काली मिट्टी का लेप किया जाता है तो पेशाब की रुकावट समाप्त हो जाती है। मधुमक्खी, कनखजूरा, मकड़ी, ततैये, बर्रे और बिच्छू के डंक मारे जाने पर प्रभावित स्थान पर तुरंत काली मिट्टी का लेप लगाने से लाभ मिलता है।
पेड़-पौधों के लिए संजीवनी
काली मिट्टी में विभिन्न प्रकार के क्षारीय, विटामिन, खनिज, धातु, रासायन आदि की उपस्थिति इसे औषधीय गुण देते हैं। धरातल पर उगने वाले हर पेड़-पौधे के गुण मिट्टी से ही आते हैं जो उसमें पहले से ही मौजूद होते हैं। इसमें लगे पौधे अच्छी तरह उगते है। गमलों में, 1/10वां हिस्सा काली मिट्टी, 1/10वां हिस्सा नीम की खली, 1/10वां हिस्सा कोको पिट, 1/10वां हिस्सा फार्मयार्ड मैन्योर एक तिहाई काली मिट्टी का मिश्रण तैयार कर घर के गमलों, बालकनी या छत पर टैरेस गार्डन में मेडिसिन प्लांट या घर की सब्जियां उगा सकते हैं। कार्बनिक पदार्थ जैसे गोबर खाद, हरी खाद और केंचुआ खाद का ज्यादा उपयोग करें।
काली मिट्टी में विभिन्न प्रकार के क्षारीय, विटामिन, खनिज, धातु, रासायन आदि की उपस्थिति इसे औषधीय गुण देते हैं। धरातल पर उगने वाले हर पेड़-पौधे के गुण मिट्टी से ही आते हैं जो उसमें पहले से ही मौजूद होते हैं। इसमें लगे पौधे अच्छी तरह उगते है। गमलों में, 1/10वां हिस्सा काली मिट्टी, 1/10वां हिस्सा नीम की खली, 1/10वां हिस्सा कोको पिट, 1/10वां हिस्सा फार्मयार्ड मैन्योर एक तिहाई काली मिट्टी का मिश्रण तैयार कर घर के गमलों, बालकनी या छत पर टैरेस गार्डन में मेडिसिन प्लांट या घर की सब्जियां उगा सकते हैं। कार्बनिक पदार्थ जैसे गोबर खाद, हरी खाद और केंचुआ खाद का ज्यादा उपयोग करें।
ये गुण भी हैं ख़ास
काली मिट्टी के चार प्रमुख गुण होते हैं। इसमें शरीर की गंदगी को सोखना, शरीर को ठंडक पहुंचाना, इसके एलीमेंट्स शरीर की त्वचा के लिए पोषण का काम करते हैं और हमारी स्किन को टोन करती है। आंखें में जलन होतो काली मिट्टी की पट्टी ठंडे साफ पानी से बनाकर आंखों पर रखने से जलन कम कर नेत्र ज्योती बढ़ाती है। यह सूजन मिटाकर तकलीफ खत्म करने में भी सहायक है। जलन होने, घाव होने, विषैले फोड़े और चर्मरोग जैसे खाज-खुजली में काली मिट्टी विशेष रूप से उपयोगी होती है।
काली मिट्टी के चार प्रमुख गुण होते हैं। इसमें शरीर की गंदगी को सोखना, शरीर को ठंडक पहुंचाना, इसके एलीमेंट्स शरीर की त्वचा के लिए पोषण का काम करते हैं और हमारी स्किन को टोन करती है। आंखें में जलन होतो काली मिट्टी की पट्टी ठंडे साफ पानी से बनाकर आंखों पर रखने से जलन कम कर नेत्र ज्योती बढ़ाती है। यह सूजन मिटाकर तकलीफ खत्म करने में भी सहायक है। जलन होने, घाव होने, विषैले फोड़े और चर्मरोग जैसे खाज-खुजली में काली मिट्टी विशेष रूप से उपयोगी होती है।
ऐसे बनाएं काली मिट्टी
घर पर उपयोग के लिए काली कपासी मिट्टी बनाने के लिए एक तिहाई कोको पिट, एक तिहाई काली मिट्टी, एक तिहाई गोबर खाद, एक तिहाई सिल्ट मिलकार इसे घर में छोटी जगहों या पोली हाउस और गमलों के लिए उपजाऊ काली मिट्टी घर में ही बनाई जा सकती है।
घर पर उपयोग के लिए काली कपासी मिट्टी बनाने के लिए एक तिहाई कोको पिट, एक तिहाई काली मिट्टी, एक तिहाई गोबर खाद, एक तिहाई सिल्ट मिलकार इसे घर में छोटी जगहों या पोली हाउस और गमलों के लिए उपजाऊ काली मिट्टी घर में ही बनाई जा सकती है।