स्वास्थ्य

फेफड़ों में जान फूंक देगा, रोजाना 10 गुब्बारे फुलाना, रिसर्च में साबित

बैलून थेरेपी फेफड़ों और श्वसन पथ के रोगों में राहत देती है। डायाफ्राम और पसलियों को इंटरकोस्टल मांसपेशियो द्वारा मूवमेंट किया जाता है। जो गुब्बारे फुलाने के दौरान सक्रिय होते हैं। इससे फेफड़ों के लिए ऑक्सीजन लेना और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ना संभव हो जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक गुब्बारे फुलाने से फेफड़ों की सेहत सुधरती है। हालांकि बात का पूरा ध्यान रखें कि किसी मेडिकल कंडीशन में चिकित्सक से सलाह लिए बिना इसे शुरू न करें। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रतिदिन 10 से 15 गुब्बारों को फुलाने से फेफड़ों की क्षमता सुधरती है।

Jan 02, 2024 / 12:31 pm

Jaya Sharma

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बैलून थेरेपी फेफड़ों और श्वसन पथ के रोगों में राहत देती है। डायाफ्राम और पसलियों को इंटरकोस्टल मांसपेशियो द्वारा मूवमेंट किया जाता है। जो गुब्बारे फुलाने के दौरान सक्रिय होते हैं। इससे फेफड़ों के लिए ऑक्सीजन लेना और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ना संभव हो जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक गुब्बारे फुलाने से फेफड़ों की सेहत सुधरती है। हालांकि बात का पूरा ध्यान रखें कि किसी मेडिकल कंडीशन में चिकित्सक से सलाह लिए बिना इसे शुरू न करें। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रतिदिन 10 से 15 गुब्बारों को फुलाने से फेफड़ों की क्षमता सुधरती है।

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कोविड काल में 250 कोरोना रोगियों में पारंपरिक फिजियोथेरेपी के साथ-साथ गुब्बारे फुलाने के व्यायाम के पूर्व और बाद के परिणामों को मापकर किया गया था। परिणामों से पता चला कि बैलून व्यायाम प्रभावी पाया गया, क्योंकि बैलून व्यायाम के बाद ऑक्सीजन में सुधार हुआ।

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आपको यह जानकार हैरानी होगी कि गुब्बारे फुलाने से हम जितनी अधिक आॅक्सीजन की आपूर्ति करते हैैं, उससे हम लम्बे समय तक बिना सांस फूले और ताजगी के साथ काम कर सकते हैं। गुब्बारा फुलाना फेफड़ों के लिए उपयोगी एक्सरसाइज है। इससे हमारे फेफड़ों को ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में लेने में मदद करती हैं।

यहां ये ध्यान देने की बात है कि आपको इस एक्सरसाइज को धीरे—धीरे शुरू करना होगा। एकदम से बहुत ज्यादा गुब्बारे फुलाने से आप परेशानी में आ सकते हैं। पहले कुछ ही गुब्बारे फुलाएं और उसके बाद धीरे—धीरे इन गुब्बारों की संख्या बढ़ाए। यदि आप घुटनों पर बैठकर या एक्सराइज बॉल पर बैठकर गुब्बारे फुलाते हैं, तो इससे मिलता है ज्यादा फायदा।

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विशेषज्ञों के मुताबिक उम्र के बढ़ने के साथ ही फेफड़ों में फाइब्रोसिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज अस्थमा जैसी स्थितियां उत्पन्न होने की संभवनाएं रहती है। ऐसे में फेफड़ों को स्वस्थ रखना जरूरी है, एक्सरसाइज इसका एक बेहतर विकल्प हो सकता है। यह पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के लिए बेहद उपयोगी हो सकता है।

 

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डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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