सामान्यतया अक्लदाढ़ को निकालना ही बेहतर होता है क्योंकि कि यह मुख गुहा(ओरल केविटी) में सबसे अंत में स्थित होने के कारण यहाँ तक ब्रश पहुँचना मुश्किल होता है और अगर ब्रश पहुँच भी गया तो अच्छे से सफाई करना नामुमकिन होता है जिससे कि बार- बार संक्रमण होने की संभावना रहती है | आंशिक रूप(partially impacted) से निकली दाढ़ में संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि वहाँ अक्लदाढ़ एवं मसूड़े के बीच में एक पॉकेट बन जाती है जिसमें खाना फंसा (food lodgement) रह जाता है जो की संक्रमण का मुख्य कारण होता है| जिस की वजह से दन्त छय(dental decay) एवं अक्लदाढ़ के चारों ओर के मसूड़े में संक्रमण (pericoronitis) हो जाता है
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क्योंकी अक्लदाढ़ टेढी-मेढी एवं हड्डी में फंसी हुई होती है अतः सामान्य दाढ़ की तुलना में इस को निकालना थोड़ा मुश्किल होता है | कई बार छोटी सर्जरी(minor surgery) भी करनी पड़ती है| इन सब के लिए पहले संम्पूर्ण जबड़े का एक्स – रे या सीटी स्कैन करना पड़ता है जिससे उनकी हड्डी में पोजीशन एवं नस से (manibular nerve) संबंधता (proximity) का पता चलता है | कई बार अक्लदाढ़ मेंडिबुलार र्नव के काफी समीपता में होती है, ऐसे केसों में अक्लदाढ़ काफी सावधानी पूर्वक निकालनी पड़ती है अन्यथा र्नव डैमेज होने की संभावना रहती है|
ऐसे केसों (nerve proximity)में कई बार अक्लदाढ़ के क्राउन वाले हिस्से को कट करके (Coronectomy) निकाल दिया जाता है तथा मसूड़े के फ्लेप (gingival flap) को सिल ( suture)दिया जाता है बशर्तें जड़ के नीचे कोई संक्रमण ना हो |
काफी दिनों बाद जब जड़ र्नव से उपर आ जाये तब दाढ़ को निकाल सकते हैं|