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अक्लदाढ़ सम्बंधित परेशानियां एवं उपचार, जानिए क्या होती है अक्लदाढ़

wisdom teeth pain : अक्लदाढ़ मुख में सबसे अंतिम दाढ़ ( प्रथम एवं द्वितीय दाढ़ को छोड़कर) को कहते हैं जो कि सामान्यतः 17 से 25 वर्ष की उम्र में निकलती है| परन्तु कभी कभी 25 वर्ष के बाद भी निकल सकती है अक्लदाढ़ मुख्यतया चार, जिनमें 2 उपरी जबड़े (maxilla)में एवं 2 निचले जबड़े (mandibel) में होती हैं|

Sep 21, 2023 / 10:14 am

Manoj Kumar

wisdom teeth pain

wisdom teeth pain

अक्लदाढ़ मुख में सबसे अंतिम दाढ़ ( प्रथम एवं द्वितीय दाढ़ को छोड़कर) को कहते हैं जो कि सामान्यतः 17 से 25 वर्ष की उम्र में निकलती है| परन्तु कभी कभी 25 वर्ष के बाद भी निकल सकती है अक्लदाढ़ मुख्यतया चार, जिनमें 2 उपरी जबड़े (maxilla)में एवं 2 निचले जबड़े (mandibel) में होती हैं|

बहुत से लोगों के मन में यह प्रशन उठता है कि इसे अक्लदाढ़ क्यों कहते हैं?
क्या इस का अक्ल से कोई कनेक्शन है? इन सब का उत्तर है जी नहीं | इस का निकलना (eruption) तब होता है जब व्यक्ति अक्लमंद या समझदार होता है (सामान्यतः 17 से 25 वर्ष की उम्र में)

जब अक्लदाढ़ आती है तब तक मुॅह में सारे सारे दांत एवं दाढ़ आ चुके होते हैं इसलिए उनके लिए जगह (स्पेस) बहुत कम रहता है अतः अक्लदाढ़ या तो पूरी तरह से आती (fully impacted) ही नहीं है या टेढी-मेढी आती है अथवा आधी-अधूरी (partially impacted) आकर रह जाती है जो कि परेशानी का कारण बनती है |

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आजकल की युवा पीढ़ी में अक्लदाढ़ या तो आती ही नहीं है (मतलब हड्डी अथवा मसूड़े में दबी रह जाती है अथवा आधी-अधूरी या टेढी-मेढी आती है | इस का मुख्य कारण हमारा आधुनिक खानपान है जिसकी वजह से हमारे जबड़े का आकार शनैः शनै छोटा होता जा रहा है|

पुरातन समय में हमारे पूवर्ज रेशेदार एवं मुख्यतः ऐसे खाध पदार्थ (गन्ना,गाजर,मूली,चने)खाने में काम लेते थे जिससे जबड़े की कसरत होती थी| इस के उलट वर्तमान समय में युवा पीढ़ी ऐसे खाध पदार्थ ( पिज़्ज़ा, बर्गर, सॉफ्टड्रिंक्स, वेफरस, प्रोसेसड एवं डिब्बाबंद फूड्स) खाने में काम लेते हैं जो कि चिपचिपे एवं दान्तों की कम सक्रियता से भी खाये जाते हैं जिससे संम्पूर्ण जबड़े की कसरत नहीं हो पाती है| इन के अलावा आनुवंशिक कारण एवं जबड़े में कोई चोट भी एक वजह हो सकती है|

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अक्लदाढ़ में संक्रमण की वजह से तीव्र एवं असहनीय दर्द , सूजन आना, मुँह का कम खुलना, खाने एवं निगलने में परेशानी, संम्बंधित मसूड़े में खून आना ( bleeding gum) , मसूड़े में सूजन ( swollen gum) या मसूड़ों का फूलना , मुंह में दुर्गन्ध( bad breath)अथवा बदबू का आना, मसूड़े की अतिवृद्धि (gum hypertrophy) बुखार एवं थकान का आना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं| कभी – कभी इस की वजह से संबंधित हिस्से के कान, कनपटी (temporal region) एवं गले में रेफरड पेन (referred pain) भी होता है| कई दफा नीचे की दोनों अक्लदाढ़ में गंभीर संक्रमण होने पर गले एवं मुंह में सूजन की वजह से मरीज का जीवन खतरे में पड़ सकता है जो कि इमरजेंसी अवस्था होती है जिसे सैल्यूलाइटिस(cellulitis) कहते हैं|

अगर अक्लदाढ़ में कोई दर्द व संक्रमण नहीं है तो जरूरी नहीं है कि उसको निकाले ही, बशर्तें की अक्लदाढ़ की पोजीशन सीधी हो तथा वह पास वाली दाढ़ को खराब न करती हो| इस के लिए समय – समय पर अपने दन्त चिकित्सक से परामर्श करते रहें |

सामान्यतया अक्लदाढ़ को निकालना ही बेहतर होता है क्योंकि कि यह मुख गुहा(ओरल केविटी) में सबसे अंत में स्थित होने के कारण यहाँ तक ब्रश पहुँचना मुश्किल होता है और अगर ब्रश पहुँच भी गया तो अच्छे से सफाई करना नामुमकिन होता है जिससे कि बार- बार संक्रमण होने की संभावना रहती है | आंशिक रूप(partially impacted) से निकली दाढ़ में संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि वहाँ अक्लदाढ़ एवं मसूड़े के बीच में एक पॉकेट बन जाती है जिसमें खाना फंसा (food lodgement) रह जाता है जो की संक्रमण का मुख्य कारण होता है| जिस की वजह से दन्त छय(dental decay) एवं अक्लदाढ़ के चारों ओर के मसूड़े में संक्रमण (pericoronitis) हो जाता है
1-2% केसों में ईलाज भी कर सकते हैं बशर्ते कि मरीज का मुंह पूरा खुलता हो,अक्लदाढ़ की जड़े सीधी हो एवं उसकी पोजीशन भी सीधी तथा दाढ़ भरने योग्य (Restorable) हो व मरीज ईलाज करवाने का इच्छुक हो |

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क्योंकी अक्लदाढ़ टेढी-मेढी एवं हड्डी में फंसी हुई होती है अतः सामान्य दाढ़ की तुलना में इस को निकालना थोड़ा मुश्किल होता है | कई बार छोटी सर्जरी(minor surgery) भी करनी पड़ती है| इन सब के लिए पहले संम्पूर्ण जबड़े का एक्स – रे या सीटी स्कैन करना पड़ता है जिससे उनकी हड्डी में पोजीशन एवं नस से (manibular nerve) संबंधता (proximity) का पता चलता है | कई बार अक्लदाढ़ मेंडिबुलार र्नव के काफी समीपता में होती है, ऐसे केसों में अक्लदाढ़ काफी सावधानी पूर्वक निकालनी पड़ती है अन्यथा र्नव डैमेज होने की संभावना रहती है|
ऐसे केसों (nerve proximity)में कई बार अक्लदाढ़ के क्राउन वाले हिस्से को कट करके (Coronectomy) निकाल दिया जाता है तथा मसूड़े के फ्लेप (gingival flap) को सिल ( suture)दिया जाता है बशर्तें जड़ के नीचे कोई संक्रमण ना हो |

काफी दिनों बाद जब जड़ र्नव से उपर आ जाये तब दाढ़ को निकाल सकते हैं|

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