यह तकनीक डीएनए स्ट्रैंड को काटने के लिए विशेष एंजाइमों का उपयोग करती है, यह उसी तरह काम करता है जिस तरह कैंची काम करती है। वैज्ञानिकों ने CRISPR का उपयोग करके एचआईवी (HIV) वायरस के जीनोम को काट दिया, जिससे वायरस निष्क्रिय हो गया और कोशिकाओं से बाहर निकल गया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अभी भी कहना जल्दबाजी होगी कि यह एड्स (AIDS) का इलाज है। CRISPR तकनीक अभी भी प्रारंभिक चरण में है और इसका उपयोग मनुष्यों में अभी तक नहीं किया गया है।
लेकिन यह एक बड़ी सफलता क्यों है? यह पहली बार है कि वैज्ञानिकों ने लैब में एचआईवी (HIV) वायरस को पूरी तरह से खत्म करने में सफलता हासिल की है। यह दर्शाता है कि CRISPR तकनीक का उपयोग करके एड्स का इलाज संभव हो सकता है।
अगले चरण क्या हैं? वैज्ञानिक अब CRISPR तकनीक को मनुष्यों में उपयोग करने के लिए सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए काम कर रहे हैं। उन्हें यह भी पता लगाने की आवश्यकता है कि वायरस के सभी जीनोम को कैसे काटा जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वायरस पूरी तरह से खत्म हो जाए।
यह सफलता एचआईवी से संक्रमित लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद है। यदि वैज्ञानिक CRISPR तकनीक को मनुष्यों में उपयोग करने में सफल होते हैं, तो यह एड्स (AIDS) के लिए एक स्थायी इलाज हो सकता है।
यहां कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें हैं: – CRISPR तकनीक का उपयोग कैंसर, मनोभ्रंश, अंधापन और वंशानुगत विकारों का इलाज करने के लिए भी किया जा सकता है।
– एचआईवी का इलाज इतना कठिन होने के पीछे सबसे बड़ा कारण मरीज के जीन में खुद को स्थापित करने के बाद छोटे-छोटे अज्ञात हिस्सों में छिपने की इसकी क्षमता है।
– CRISPR तकनीक बहुत बड़ी है और संभवतः किसी जीवित विषय पर काफी कोशिका क्षति का कारण बन सकती है।
– यह सफलता एचआईवी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह दर्शाता है कि वैज्ञानिक इस वायरस को हराने के करीब हैं।