स्वास्थ्य

कोरोना वायरस के बाद बदली सर्जरी की प्रक्रिया, शॉर्ट स्टे पर जोर

ऑपरेशन थियेटर में नेगेटिव प्रेशर मेंटेन करते हैं। इसमें एक मशीन ओटी की हवा बाहर ले जाती और बाहर लगे बैक्टीरिया बर्नर में ओटी के बैक्टीरिया को जला देती है।

Jun 07, 2020 / 12:53 pm

Hemant Pandey

कोरोना वायरस के बाद बदली सर्जरी की प्रक्रिया, शॉर्ट स्टे पर जोर

पहले सीधे डॉक्टर के पास जाने में कोई संकोच नहीं होता था। कुछ बेसिक जांचों के बाद सर्जरी की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी। लेकिन अब इसमें काफी बदलाव आ गया है। कुछ मरीजों को तो सीधे मना किया जा रहा है और कुछ सर्जरी ऐसी हैं जिनमें कई तरह की सावधानी बरती जा रही हैं।
दो प्रकार की सर्जरी होती है। पहली, इलेक्टिव और दूसरी इमरजेंसी। इलेक्टिव में मरीज की सभी स्थिति सामान्य होने पर किसी एक खास बीमारी के लिए सर्जरी की जाती है जबकि इमरजेंसी में हर स्थिति में सर्जरी करना जरूरी है। उसकी कोई प्लानिंग नहीं होती है।
बाद में भी कम बुलाते हैं
अब शॉर्ट स्टे सर्जरी ज्यादा हो रही हैं जो कोविड19 से पहले नहीं होती थीं। इसमें मरीज को सर्जरी वाले दिन या बहुत जरूरी हुआ तो अगले दिन डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इसमें सर्जरी कम समय में होती, ब्लड लॉस का ध्यान रखा जाता, टांके और ड्रेसिंग के लिए हॉस्पिटल आने की जरूरत नहीं होती, जल्दी हीलिंग भी हो जाती है।
सांस से जुड़ी समस्या है तो
कोविड-19 से पहले एंडोस्कोपी या लेरेंजोस्कोपी के लिए मरीज की जांचें जरूरी नहीं थीं। मरीज सीधे डॉक्टर के पास पहुंचता था और डॉक्टर इसे तुरंत कर भी देते थे। अब सबकी कोविड-19 की जांच जरूरी है। वहीं, कुछ सर्जरी जैसे आवाज, खर्राटे और सांस में तकलीफ वाली हैं उन्हें नहीं किया जा रहा है। इनके दौरान मरीज की सांसों के संपर्क में ज्यादा आते हैं।
बोलें कम, लिखकर बताएं
अभी सर्जरी से पहले हर मरीज का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। ऐसा इसलिए जरूरी है कि एक मरीज से पूरा स्टॉफ और हॉस्पिटल में संक्रमण फैल सकता है। अब मरीजों से बीमारी संबंधी एक प्रश्नावली भरवाई जा रही है ताकि उन्हें बोलना न पड़े। बोलने (ड्रॉपलेट्स) से भी कोविड संक्रमण फैल सकता है।
ये मरीज सर्जरी से बचें
अस्थमा, किडनी रोगी, कीमोथैरेपी, सीओपीडी, ऑर्थराइटिस, क्रॉनिंग डिजीज जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या हृदय रोगों के मरीजों में हर प्रकार की इलेक्टिव सर्जरी टाली जा रही है। ऐसे मरीजों में केवल इमरजेंसी सर्जरी ही हो रही है। इनमें अधिक रिस्क रहता है।
डॉ. संजीव बधवार, विभागाध्यक्ष, ईएनटी विभाग, कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल, मुंबई

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