डॉ. सिद्धेश्वर काटाकोल ने कहा कि प्रत्यारोपण के लिए अंग organ नहीं मिलने के कारण भारत में हर दिन लगभग 20 लोग अपनी जान गंवा देते हैं। ब्रेन डेथ के बाद दान किए गए एक शरीर से आठ मरीजों की जान बच सकती है। इसके अलावा 70 से ज्यादा मरीजों की जिंदगी बेहतर हो सकती है। हालांकि, संस्कार या धार्मिक परंपरा के नाम पर, जो शव दूसरों को नया जीवन दे सकते हैं, उन्हें या तो जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है। जागरूकता से शरीर और अंगदान के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने में मदद मिल सकती है। उनके खुद के परिवार के 10 सदस्यों ने शरीर दान की शपथ ली है।
डॉ. कटाकोल ने सरकार से सुनिश्चित करने की अपील की कि अंगदान organ donation की शपथ लेने वालों के आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस Aadhar Card and Driving License में अंगदान की शपथ को दर्शाया जाए, ताकि उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करना आसान हो सके।
केएमसीआरआइ के निदेशक एस.एफ. कम्मर ने कहा कि केएमसीआरआइ शरीर दान के लिए एक हेल्पलाइन स्थापित करने की योजना बना रहा है। कार्यक्रम के दौरान 21 लोगों ने अंग दान के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराया।