-सात साल में दूसरी बार हुआ हृदय प्रत्यारोपण -पहला शादी के पहले, दूसरा पिता बनने के बाद Bengaluru के एक निजी अस्पताल के चिकित्सकों की टीम ने एक मरीज का दूसरी बार हृदय प्रत्यारोपण किया। मरीज अब तीसरे हृदय (third heart) के सहारे जीवित है। चिकित्सकों के अनुसार India में अपनी तरह का यह दूसरा और Karnataka में पहला मामला है। इससे पहले 6 मार्च 2014 को केरल के गिरीश कुमार पी. वी. का केरल के एक निजी अस्पताल में दूसरी बार हृदय प्रत्यारोपण हुआ था।
चार वर्षों तक सब कुछ ठीक रहा नए मामले में 32 वर्षीय इंजीनियर विक्रम (काल्पनिक नाम) का वर्ष 2016 में First Heart Transplant हुआ था। अगले चार वर्षों तक सब कुछ ठीक रहा। इस बीच विक्रम ने वर्ष 2018 में अपनी प्रेमिका रूपा से शादी भी की। रूपा ने भी खूब साथ निभाया। पति की हिम्मत बढ़ाती रहीं।
कोविड ने भी सताया वर्ष 2020 में विक्रम Corona Virus से संक्रमित हो गए। उपचार के बाद स्वस्थ हुए, इसके बाद बेटी के जन्म ने खुशियों से दामन भर दी। लेकिन, वर्ष 2021 से विक्रम का स्वास्थ्य बिगड़ना शुरू हो गया।
प्रत्यारोपण अंतिम विकल्प पीठ और सीने में दर्द ने एक नई चुनौती को जन्म दिया। Heart की धमनियां संकुचित होने लगी थीं। इसके अलावा, वर्ष 2022 में एक फॉलो-अप इकोकार्डियोग्राम में गंभीर बाइवेंट्रिकुलर डिसफंक्शन का खुलासा हुआ। Heart Transplant अंतिम विकल्प था।
अंतत: शरीर ने हृदय को स्वीकारा एस्टर सीएमआइ में हृदय रोग व प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. नागमलेश यू. एम. ने बुधवार को बताया कि गत वर्ष दिसंबर में विक्रम का दूसरी बार हृदय प्रत्यारोपण हुआ। रक्त पतला करने वाली दवाओं के कारण रक्तस्राव चुनौती बनी रही। काफी मुश्किलों व चिकित्सा हस्तक्षेपों के बाद शरीर ने हृदय को स्वीकार किया। प्रत्यारोपण के करीब छह महीने बाद विक्रम स्वस्थ हैं।
हृदय निकालने में लगे छह घंटे हृदय सर्जन डॉ. दिवाकर भट ने बताया कि प्रत्यारोपण से पहले विक्रम का दूसरा हृदय उसके शरीर से निकालना अपने आप में ही चुनौतीपूर्ण था। पूरी प्रक्रिया करीब छह घंटे तक चली। आम तौर पर इसमें करीब आधा घंटा ही लगता है।
इंसानियत के साथ-साथ पत्नी धर्म निभाया हृदय की बीमारी का पता लगने के समय हमारी शादी नहीं हुई थी। बीमारी सामने आई तो धक्का लगा, लेकिन मैंने उनसे सच्चा प्रेम किया था और उन्हें जिंदगी और मौत के बीच छोड़ नहीं सकती थी। पहले हृदय प्रत्यारोपण के बाद शादी की। चिकित्सकों के अनुसार प्रत्यारोपण के बाद उनके जीवित रहने की संभावना करीब 70 फीसदी ही थी। जब उनका हृदय दूसरी बार काम करना बंद करने लगा तब भी ईश्वर पर पूरा भरोसा था। मैंने इंसानियत के साथ-साथ पत्नी धर्म निभाया।
-रूपा
-रूपा