हाथरस

Hathras Ground Report: छोटा सा गांव, बातें बड़ी-बड़ी, 2001 से चली आ रही है दोनों परिवारों में रंजिश

– राजनीतिक दलों ने बिगाड़ दिया गांव का माहौल- दलित और सवर्ण खेमे में बंट गया है गांव

हाथरसOct 04, 2020 / 09:40 pm

Abhishek Gupta

Hathras Ground Report

पत्रिका लाइव.
निर्मल राजपूत.
हाथरस. हाथरस का एक छोटा सा गांव मीडिया जमावड़े का गढ़ बन गया है। गांव की तरफ जाने वाली कच्ची-पक्की सड़क पर भीड़ ही भीड़ है। सड़क किनारे खाने-पीने की दुकानें सज गयी हैं। लेकिन, करीब दो सौ परिवारों वाले इस गांव में अजीब सन्नाटा है। लोग घरों में कैद हैं या फिर दूर अपने खेतों में निकल गए हैं। कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं। लाख कुरेदने पर भी कोई राज नहीं खुलता। जो बोल रहे हैं वे नेता हैं। उनकी बातें बड़ी-बड़ी हैं। दलित और ठाकुरों की आबादी वाले इस गांव में घुसते ही पहले दलित युवती के साथ ज्यादती करने वाले आरोपी का घर पड़ता है। 100 मीटर की दूरी पर युवती का परिवार रहता है। दोनों ही घरों के पास पुलिस का सख्त पहरा है। लेकिन, घरों में कुछ लोग बैठे हैं जो मीडिया को ब्रीफ कर रहे हैं। उनकी बातों में चालाकी है। राजनीतिक सयानापन है।
ये भी पढ़ें- हाथरस केस अपडेटः विपक्ष के हंगामे के बीच एसआईटी ने पीड़ित परिवार का बयान किया दर्ज

पत्रिका संवाददाता की मुख्य आरोपी संदीप ठाकुर के चाचा से मुलाकात होती है। चाचा सुंदर शुरू हो जाते हैं। बाल्मीकि समाज के दो पक्षों में 2001 में झगड़ा हुआ था। उस झगड़े में एक पक्ष की तरफ से हम लोग बीच-बचाव करने पहुंचे थे। तब इसी परिवार ने हमारे खिलाफ मुकदमा दर्ज करा कर मेरे भाई और भतीजे को जेल भेजवा दिया था। यह रंजिश तब से चली आ रही है। और अब हमें नीचा दिखाने के लिए यह सब ड्रामा रचा गया है।
ये भी पढ़ें- हाथरस केसः सीएम योगी ने पीड़ित परिवार की मानी बात, मामले की होगी सीबीआई जांच

संदीप पिला रहा था पशुओं को पानी
सुंदर बताते हैं,14 सितंबर को जब घटना हुई तब संदीप घर पर ही था। पशुओं की देखभाल कर रहा था। लेकिन, बाल्मीकि समाज ने जिन अन्य युवाओं के नाम घटना में लिखवाएं हैं उनमें से कुछ उस दिन गांव में थे ही नहीं। रामू आरोपी है। वह आरओ प्लांट पर काम कर रहा था। सुंदर बताते हैं बाल्मीकि परिवार ने खुद अपनी बेटी की पिटाई की। वहीं तीसरे आरोपी लव कुश के चाचा भी मिल गए। वे बोले-लवकुश ने तो मृतका को पानी पिलाया था। उसे भी बलात्कारी बना दिया गया। जबकि, पीडि़ता को वही खेत से घर लेकर आया था। यह पूछने पर कि कोई अपनी बेटी को क्यों पीटेगा। सुंदर बोले- हम सभी लोगों को फंसाने के लिए। बात खत्म। हम आगे बढ़ लिए…।
ये भी पढ़ें- हाथरसः पीड़िता परिवार से मिले राहुल-प्रियंका, कहा- इस संकट की घड़ी में कांग्रेस आपके साथ

आखिर किस दबाव में बयान बदल दिया पीडि़त परिवार ने-
सुंदर के घर से 100 मीटर दूर पीडि़ता का घर है। पुलिस का सख्त पहरा है। दरवाजा अंदर से बंद है। घर से कुछ दूर एक पेड़ के नीचे पीडि़ता का छोटा भाई मीडिया वालों से घिरा है। वह बाइट दे रहा है। मुंह में गमछा लपेटे काफी डरा और सहमा दिखा। आधे घंटे तक हम यहां रुके। हमने पूछा, आखिर क्यों डर रहे हो। वह न्याय की दुहाई देते हुए बोला- हमें सीबीआई जांच और नार्को टेस्ट नहीं करवाना। आखिर नार्को टेस्ट और सीबीआई जांच से क्या डर है। यह पूछने पर कहता है हम गरीब आदमी हैं, सरकार फंसा देगी।
ये भी पढ़ें- हाथरस कांड: पीड़ित परिवार के नार्को टेस्ट पर रोक लगाने के लिए कोर्ट में याचिका, बताया- सभी सिद्धांतों के खिलाफ

Hathras Ground Report
क्या हुआ था घटना वाले दिन-
पीडि़ता का छोटा भाई बताता है, 14 तारीख को हम लोग सुबह खेत में घास काट रहे थे तभी गांव के ही 4 लोगों ने बहन के साथ गैंगरेप किया। जान से मारने के इरादे से वार किया और फरार हो गए। घटना के बाद परिवार के ऊपर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। हम लोग ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं। नेता आ रहे हैं। कह रहे हैं जो तुम्हारी मांग हो बताओ। पूरी कर दी जाएगी। हो सकता है इसकी वजह से मां और बाबूजी ने कहीं कुछ तो कहीं कुछ बोल दिया हो। वह कहता है हम न एसआईटी जांच से संतुष्ट हैं, न सीबीआई जांच से न ही नार्को टेस्ट चाहते हैं। बस आरोपियों को फांसी की सजा हो। हमें न्याय मिले। पुलिस ने बिना हमारे परिवार को दिखाए शव जला दिया। हम कैसे मान लें कि वह हमारी बहन का शव था। कुछ और… इसके आगे कोई जवाब नहीं।
https://youtu.be/t9r7erp9hUo
दो खांचे में बंट गया गांव-

गांव की हर गली में नेता और मीडिया है। लेकिन गांववाले मुंह खोलने को तैयार नहीं। कुछ बुर्जुगों को बहुत कुरेदने पर जातीय लड़ाई की बात सामने आती है। उनका कहना है नेताओं की शह पर दलितों और ठाकुरों के बीच की यह रंजिश इस अंजाम तक पहुंची। पीएएसी के कुछ जवानों से भी बातचीत की कोशिश की। पुलिस का भी कहना है यह लड़ाई आपसी रंजिश की ही लगती है। जिसे राजनीतिक दलों ने तूल दे दिया। हम गांव से निकलकर खेतों की तरफ जाते हैं। धान की कटाई चल रही है। कुछ महिलाओं से बात करने की कोशिश की। सबने मना कर दिया। सब यही कहते हैं हमें कुछ पता नहीं। अंतत: एक बात समझ में आयी। गांव में जातीय वैमनस्य बोने में राजनीतिक दलों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। रातों रात गांव में सवर्ण परिषद और अंबेडकर रक्षा समितियां बन गयी हैं। सभी के अपने तर्क हैं। सभी के अपने अपने दावे। सुबह सवर्ण परिषद की बैठक हुई। योगी सरकार की तारीफ हुई। शाम को दलित समाज अपनी बैठक कर रहा था। इन सबके बीच ***** रहा है गांव। शासन-प्रशासन सतर्कता के नाम पर लाठियां भांज रहा है। समय रहते न चेते तो लंबे समय तक सुलगता रहेगा छोटा सा गांव।

Hindi News / Hathras / Hathras Ground Report: छोटा सा गांव, बातें बड़ी-बड़ी, 2001 से चली आ रही है दोनों परिवारों में रंजिश

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.