यह भी पढ़ें सास बहू के ये दो किस्से पढ़कर आप कभी हँसेंगे तो कभी माथा पीटेंगे 26 साल पुरानी बात बात करीब 26 साल पहले की है। अटल जी तब लोकसभा में भाजपा संसदीय दल के नेता थे। पत्रकारिता में मेरे कैरियर की शुरुअत थी। अटल जी का हाथरस अगमन हुआ। शहर में उनके तीन कार्यक्रम थे। हाथरस ऑफिस में हम केवल दो लोग थे। एक मैं और ब्यूरो प्रभारी नरेन्द्र दीपक। उस दिन शहर की रुटीन खबरों के साथ होटल मैफेयर में अटल जी के कार्यक्रम की कवरेज की जिम्मेदारी मुझे दी। पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस, स्थानीय भाजपा नेताओं के साथ बैठक और राजरानी मेहरा गेस्ट हाउस में उनके अंतिम कार्यक्रम की कवरेज की जिम्मेदारी नरेन्द्र दीपक ने खुद ले ली।
यह भी पढ़ें अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से मंगा रहे हैं मोबाइल फोन तो पढ़ लें ये खबर… कार्यालय आया अटल जी जैसी शख्सियत से सवाल-जवाब के दौर (प्रेस कांफ्रेंस) में शामिल होने की मेरी बड़ी इच्छा थी। अटल जी से पूछने के लिए मैंने 3 सवाल भी अपनी डायरी में लिख लिए थे। इसके बाद भी प्रेस कांफ्रेंस कवरेज की जिम्मेदारी उन्होंने नहीं छोड़ी। अटल जी को सबसे पहले दोपहर में सीधे पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पहुंचकर प्रेस कांफ्रेंस और बैठक में भाग लेना था। लिहाजा, सभी पीडबल्यूडी गेस्ट हाउस में उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। करीब दो बजे तक अटल जी नहीं पहुंचे। मुझे रुटीन की खबरें लिखकर होटल मैफेयर में होने वाले उनके कार्यक्रम की कवरेज करनी थी। तब हमारे ऑफिस से आगरा मुख्यालय में खबरें भेजने का अंतिम समय रात 8 बजे तक था। अटल जी के आगमन में देरी के बीच मुझे रुटीन की खबरें लिखकर आगरा भेजने की चिंता थी। पता लगा कि अटल जी अभी 2 घंटे और देरी से पहुंचेंगे। ऐसे में मैं पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस छोड़कर 4 किलोमीटर दूर अपने ऑफिस पहुंच गया। यह सोचकर कि तब तक रुटीन की खबरें निपटा लूंगा।
यह भी पढ़ें हिंदूवादी संगठनों के निशाने पर आए सिद्धू, राष्ट्रीय बजरंग दल का बड़ा ऐलान साइकिल का ब्रेक का तार टूटा ऑफिस पहुंचकर ठीक दो घंटे बाद मैंने हाथरस कोतवाली थाने में लैंडलाइन फोन मिलाया (तब मोबाइल फोन नहीं होते थे) और पूछा कि अटल जी की लोकेशन क्या है। जवाब मिला, पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस। यह सुनते ही मैंने डायरी-पेन लेकर अपनी साइकिल से पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस की तरफ दौड़ लगा दी। साइकिल की रफ्तार तेज थी। पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस के मेन गेट से थोड़ा पहले मैंने साइकिल की ब्रेक लगाकर गति धीमी करनी चाही तो ब्रेक का तार टूट गया और मैं उसी रफ्तार में साइकिल समेत गेस्ट हाउस के गेट में दाखिल हो गया। गर्मी के दिन थे। गेस्ट हाउस ज्यादा बड़ा नहीं था। लिहाजा, अटल जी गेट से कुछ ही दूरी पर लॉन में सोफे पर बैठे थे। मेरी साइकिल लॉन में ही लोगों की भीड़ में जा घुसी। यह देख अटल जी के सुरक्षाकर्मी व पुलिस वाले मेरी तरफ दौड़े और मुझे पकड़ लिया। तभी भीड़़ में से कुछ स्थानीय भाजपा नेताओं की आवाज आई….अरे भाई ये पत्रकार हैं, पत्रकार। तब अटल जी के सुरक्षा कर्मी निश्चिंत हुए और मुझे छो़ड़ा। अटल जी भी मेरी साइकिल भीड़ में घुसने के घटनाक्रम को देख चुके थे।
यह भी पढ़ें पे्रमिका के शौक पूरे करने को बन गया एटीएम लुटेरा आपकी कवरेज स्पेशल हो गई मैं साइकिल एक तरफ खड़ी कर अटल जी के सामने पहुंचा तो वह मुझे देखकर मुस्कुराए और बोले- प्रेस कांफ्रेंस तो खत्म हो गई। अब तो बैठक चल रही है। मैंने उनसे कहा, सर अनुमति हो तो कुछ सवाल करना चाहता हूं। अटल जी बोले, किस समाचार पत्र से हो। मैंने अपना परिचय दिया तो बोले…मेरे पीछे आ जाओ। मैं झट से उनके पीछे सोफे का सहारा लेकर खड़ा हो गया और एक-एक कर मैंने अपने तीनों सवाल पूछ डाले। हर सवाल का जवाब अटल जी ने बड़ी सहजता से दिया। अंत में मुझसे बोले- आपकी कवरेज स्पेशल हो गई। इसी के साथ यह घटनाक्रम अऔर अटल जी के साथ यह बातचीत हमेशा के लिए मेरी यादों में ठहर गई। इसी बातचीत के दौरान वहां मौजूद हमारे फोटोग्राफर ने अटल जी के साथ मेरा फोटो भी खींच लिया था। कई साल बाद यादों की लाइब्रेरी में इस फोटो को ढूंढा तो एक फाइल में खराब हालत में मिल पाया।