समाजवादी पार्टी को बचाने एवं साइकिल चुनाव चिन्ह दिलाने में एड़ी से चोटी तक जोर लगा दिया है। अगर नरेश अग्रवाल ना होते तो सपा का नामो निशान मिट जाता। इतना सब करने के बाद समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा का टिकट काट दिया। यह समाजवादी पार्टी के नेताओं की गद्दारी नहीं तो क्या है? पीठ में छुरा तो अखिलेश यादव पर समाजवादी पार्टी ने मारा है। अखिलेश यादव जो अपने पिता के नहीं हुए तो किसी और के क्या होंगे अगर समाजवादी पार्टी नेता व कार्यकर्ताओं ने कोई कदम उठाया तो परिणाम भयंकर होंगे नरेश अग्रवाल को नसीहत देने वाले अपनी औकात में रहे प्रवक्ता के पद पर पहुंचने का मतलब यह नहीं कि राष्ट्रीय नेता हो गए हैं। सीमा और मर्यादाओं का उल्लंघन ना करें। प्रेस वार्ता के दौरान अमित बाजपेई, अमित त्रिवेदी रानू, अंकित अवस्थी आदि भी मौजूद रहे ।
समाजवादी पार्टी के सिम्बल से नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जीतकर आये और हाल ही भाजपा में शामिल हुए सुख सागर मिश्रा मधुर ने आज सपा प्रवक्ता जीतू वर्मा के बयान की कड़ी निंदा की जिसमें उन्होंने पूर्व राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि सपाई एहसान फरामोश हैं अगर नरेश जी ने उनकी मदद ना की होती तो ना तो सपा के पास साईकल का सिंबल होता और ना ही अखिलेश यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष होते। उन्होंने कहा कि सपाई अपनी औकात में रहे और अनर्गल बयान ना दें, नहीं तो ईट का जवाब पत्थर से देने में हम सक्षम हैं।