किसानों का दर्द क्रय केंद्रों में तो पैर रखने की भी जगह नहीं हैं, वहीं सेंटर के बाहर और आसपास के घरों में भी सैकड़ों क्विंटल धान लगा है। किसानों ने बताया कि दो-तीन के अंतराल में एक ट्रक आता है, लेकिन तब तक कई ट्रक धान आ जाता है। क्रय केंद्रों पर मौजूद किसान नीशू द्विवेदी ने बताया कि करीब एक महीने से वह सेंटर के चक्कर काट रहे हैं। अब धान की तौल हो गई है, लेकिन उठान नहीं होने की वजह से धान बाहर ही लगा है। इसकी वजह से वह रात-दिन सेंटर पर ही रहकर धान बचा रहे हैं। किसान पवन अवस्थी बताते हैं कि कड़ाके की ठंड में वह दो दिनों से यहीं अपने धान के पास खुले आसमान में लेटे हैं। एक और किसान अनिल सिंह मु्ख्यमंत्री व जिलाधिकारी से मांग करते हुए कहते हैं कि ट्रांसपोर्टेशन को दुरुस्त करने की बात कहते हैं। वह कहते हैं कि हर सेंटर से रोजाना कम से कम एक ट्रक लोड होकर जाये तो धान का लोड कम होगा।