क्रय केंद्रों पर नहीं हो रहा धान का उठान, किसान परेशान
– धान क्रय केंद्रों पर किसानों की लगीं लंबी-लंबी लाइनें- कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान में अपना धान बचा रहे किसान- ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत के चलते समय से नहीं उठ पा रहा किसानों का धान
क्रय केंद्रों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ट्रांसपोर्टेशन दुरुस्त करने के लिए बातचीत चल रही है
पत्रिका एक्सक्लूसिव हरदोई. धान बिक्री को लेकर उत्तर प्रदेश के किसान इन दिनों परेशान हैं। बड़े मुश्किल से धान पैदा किया। अब बेचने में पसीने छूट रहे हैं। कुछ किसानों ने तो औने-पौने दामों में स्थानीय व्यापारी के हाथों अपना धान बेच लिया है वहीं, ज्यादातर एमएसपी पर धान बेचने के लिए क्रय केंद्रों पर चक्कर लगा रहे हैं। धान क्रय केंद्रों पर लम्बी-लम्बी लाइनें लगी हैं। कड़ाके की ठंड में किसान क्रय केंद्रों के बाहर बोरी-बिस्तर लिए अपना डेरा जमाये हैं। किसी की तौल नहीं हो पा रही है तो किसी की तौल हो गई है, लेकिन क्रय केंद्रों में खाली जगह न होने से खुद ही अपना धान बचा रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर क्रय केंद्र प्रभारी बताते हैं कि उठान नहीं होने की वजह से क्रय केंद्र पर धान भरा पड़ा है। कहते हैं कि मिलर दो दिन तक ट्रक खाली नहीं करते हैं, जिसकी वजह से ट्रांसपोर्टर समय से ट्रक नहीं भेजता। नतीजन सेंटर से धान उठ नहीं पाता, जिसकी वजह से धान खरीदी प्रभावित होती है। क्रय केंद्रों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि ट्रांसपोर्टेशन दुरुस्त करने के लिए बातचीत चल रही है। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर क्रय केंद्रों का यही हाल है।
किसानों का दर्द क्रय केंद्रों में तो पैर रखने की भी जगह नहीं हैं, वहीं सेंटर के बाहर और आसपास के घरों में भी सैकड़ों क्विंटल धान लगा है। किसानों ने बताया कि दो-तीन के अंतराल में एक ट्रक आता है, लेकिन तब तक कई ट्रक धान आ जाता है। क्रय केंद्रों पर मौजूद किसान नीशू द्विवेदी ने बताया कि करीब एक महीने से वह सेंटर के चक्कर काट रहे हैं। अब धान की तौल हो गई है, लेकिन उठान नहीं होने की वजह से धान बाहर ही लगा है। इसकी वजह से वह रात-दिन सेंटर पर ही रहकर धान बचा रहे हैं। किसान पवन अवस्थी बताते हैं कि कड़ाके की ठंड में वह दो दिनों से यहीं अपने धान के पास खुले आसमान में लेटे हैं। एक और किसान अनिल सिंह मु्ख्यमंत्री व जिलाधिकारी से मांग करते हुए कहते हैं कि ट्रांसपोर्टेशन को दुरुस्त करने की बात कहते हैं। वह कहते हैं कि हर सेंटर से रोजाना कम से कम एक ट्रक लोड होकर जाये तो धान का लोड कम होगा।