घर का खर्च ऊपर से मोटरसाइकिल की किस्त का बोझ एक पिता नहीं उठा पाया। उसने अपने 5वीं में पढ़ने वाले बेटे को मजदूरी के लिए झोंक दिया। पढ़ने वाले बच्चे को मजदूरी का काम पसंद नहीं आया और वो मौका देखकर भाग निकला।
बेटा 12 साल का था। पिता मोटरसाइकिल की किस्त का बोझ नहीं सह पा रहा था तो उसने अपने बेटे को एक गडरिया के पास तीन हजार रुपए में मजदूरी के लिए भेज दिया और पैसा एडवांस भी ले लिया। लेकिन, बालक को उनके साथ काम करना अच्छा नहीं लगा और उसने बहाना भगाकर भागना ही उचित समझा। वो शौच का बहाना बनाकर भागने में सफल हो गया। इस दौरान बच्चे को रोता देखकर ग्रामीणों ने डायल को इसकी सूचना दी। जिस पर पुलिसकर्मियों ने पहुंचकर बालक को थाने लेकर आए और चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया।
भेड़ चराने की थी मजदूरी
बाल कल्याण समिति की सदस्य कृष्णा मालवीय ने बताया कि 12 साल का बालक रतलाम जिले के ग्राम बोरदा का रहने वाला है और वह 5वीं कक्षा में पढ़ता है। वहीं पिता मिस्त्री का काम करता है। लेकिन पिता को सीमेंट का काम करने से परेशानी होने से उसने काम बंद कर दिया था। इससे परिवार का पालन-पोषण करने में दिक्कतें आ रही थीं। वहीं उनके द्वारा बाइक किस्त में खरीदी थी, जिसका पैसा जमा करना था। इसलिए पिता ने मवेशी चराने वालों के पास 3 हजार रुपए महीने में उसे काम पर लगा दिया था। पिता ने भेड़ वालों से एडवांस के तौर पर 5 हजार रुपए भी लिए थे।
जब बालक गडरियों के पास काम कर रहा था, अचानक उसने सूझबूझ दिखाई और वो शौच का बहाना करके वहां से भागने में सफल हो गया। भागते-भागते जब वह एक जगह बैठ गया और सड़क पर ही रोने लगा तो राहगीरों ने उससे बात की और पुलिस को सूचना दी। इसके बाद पुलिस ने बालक को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया।
माता-पिता को दी हिदायत
बुधवार को चाइल्ड लाइन ने बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। जहां उसके माता-पिता को बुलाकर बात की गई। इसके बाद बालक को उनके सुपुर्द कर दिया गया। समिति ने माता-पिता को हिदायद भी दी कि यदि अपने बच्चे से काम करोगे तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी।