सर्दी के सीजन में मावठा बरसने से लोग सोमवार को दिनभर स्वेटर,मफलर के बजाय रेनकोट पहने और हाथों में छाते थामे हुए नजर आए। मावठे की बारिश ने मौसम में ठंडक बढ़ा दी। जरुरी काम से निकले लोगों को भीगने बचने के लिए रेनकोट और छतरियों का सहाराल लेते देखा गया। सुबह टयूशन कोचिंग,बाजार और काम पर जाने वाले लोग ठिठुरते हुए एक हाथ से छतरी दूसरे बाइक चलाते दिखाई दिए। अवैध कॉलोनियों के कच्चे रास्ते कीचड़ से लबरेज हो गए।
सेहत पर असर: मौसम में आई तब्दीली सेहत पर भी असर डलेगी। इसमें खान-पान और शरीर का ज्यादा ध्यान रखना होगा। सर्दी,जुकाम,वायरल फीवर,शरीर में अकड़न,अपच जैसी परेशानी इस सीजन में आती हैं। ऐसे में हरी सब्जियों का सेवन करें। रात को गरिष्ठ भोजन से बचें। मौसमी फल,पत्ते व रेशे वाली सब्जियों,गाजर,मूली,चुकंदर का उपयोग करें। ठंंडी हवा से शरीर को बचाएं। बच्चों व बुजुुर्गों का विशेष ध्यान रखें। कोई परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
-डॉ.मनीष शर्मा,सिविल सर्जन
-डॉ.मनीष शर्मा,सिविल सर्जन
एक्सपर्ट कमेटस… मौसम में आए बदलाव से हो रही मावठे की यह बारिश इस सीजन की सभी फसलों के लिए फायदेमंद है। कई किसान पानी दे रहे थे,लेकिन तापमान में कमी नहीं आने से कोई खास फादा नहीं मिल पा रहा था। आकाश से होने वाली प्राकृतिक बारिश में वातावरण नाइट्राेजन घुली होती है। ऐसा मौसम बना रहने और मावठा से फसलों को आगे भी फायदा ही होगा। अब पौधों की वृद्धि की गति भी सुधरेगी।
-डॉ.एसके तिवारी,मृदा वैज्ञानिक,कृषि विज्ञान केंद्र
-डॉ.एसके तिवारी,मृदा वैज्ञानिक,कृषि विज्ञान केंद्र
मावठे की बारिश में 78 प्रतिशत नाइट्रोजन मिक्स होती है,जो वातावरण में मौजूद रहती है। ऐसी बारिश फसलों में यूरिया की प्रतिपूर्ति का काम करती है। कृषि विभाग ने पलासनेर,मसनगांव,बाजनिया,रुपीपरेटिया,भुवनखेड़ी,छीपाबड़,मांगरुल,मनियाखेड़ी,रहटाकलां की सोसाइटियों में खाद भेज दिया है। मंगलवार को यूरिया की 1800मीट्रिक टन की एक रैक और आएगी।
-अखिलेश पटेल,सहायक संचालक कृषि
-अखिलेश पटेल,सहायक संचालक कृषि
किस फसल की कितनी बोवनी:
गेहूं-85285 हेक्टे. चना-95190 हेक्टे.
सरसो-4500हेक्टे. मक्का-1700 हेक्टे.
मटर-55 हेक्टे. मसूर-25 हेक्टेयर
गेहूं-85285 हेक्टे. चना-95190 हेक्टे.
सरसो-4500हेक्टे. मक्का-1700 हेक्टे.
मटर-55 हेक्टे. मसूर-25 हेक्टेयर