हरदा

mp election 2023: मुफ्त राशन के लिए भी रुपए देते हैं, आज भी चूल्हे पर बनाते हैं खाना

हरदा व टिमरनी विधानसभा क्षेत्र: विकास यात्रा—चौपाल में समस्याएं सुनीं, लेकिन हल नहीं हुई

हरदाMay 20, 2023 / 06:42 pm

Manish Gite

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महेश भंवरे

कृषि बाहुल्य हरदा विधानसभा सीट और वन क्षेत्र टिमरनी विधानसभा क्षेत्र से युक्त हरदा जिले का जनमानस पांच साल में किस करवट बैठा है, इसका जायजा लेने के लिए बाइक से सफर शुरू किया और जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर बागरुल गांव जा पहुंचा। पहाड़ी पर बसे पर बसे गांव में पत्थर तोडऩे वाले परिवार की अकूबाई से सरकारी योजनाओं पर चर्चा शुरू की तो बोलीं, योजनाएं तो खूब हैं, पर मुफ्त राशन के भी पैसे देने पड़ते हैं। गैस टंकी नहीं भरवाई है। महंगाई कम हो गैस टंकी भराएं। इसी गांव के कैलाश, विशाल, रघुनाथ और दिलीप बोले, ग्रामीण आवास मिशन में हमारे घर बने हैं, लेकिन बैंक कर्ज का पैसा मांग रहा है। रुपए नहीं है, इसलिए देने के डर से दूसरी जगह रह रहे हैं।


यहां से पक्की सड़क से हीरापुर पहुंचा। यहां महेश मांझी मिले। सुख सुविधाओं व योजनाओं की बात छेड़ी तो बोले, पीढिय़ों से बसे हैं, लेकिन पट्टे नहीं मिले हैं। 74 एकड़ के सरकारी तालाब में पानी हो तो 25-30 परिवारों को रोटी मिलती है। दबंग किसान सिंचाई करते हैं तो हम भूखे मरते हैं। चौपाल में सुनवाई नहीं हुई। मांझी की बात सुनकर आगे के लिए निकला और 8 किमी दूर उपमंडी पहुंचा। यह 20 साल पहले बनी, लेकिन खुली आज तक नहीं। किसान 20 किमी दूर अनाज बेचने हरदा जाते हैं। उंचान के रमेश, कैलाश, सुनील बोले, नर्मदा में पोकलेन से रेत निकालने से उनकी मजदूरी बंद हो गई है। थोड़ा आगे बस के इंतजार में खड़े नवीन देवहारे ने कहा, जिले में कृषि उपज की बंपर पैदावार होती है। नर्मदा का पानी, बिजली, परिवहन के लिए ट्रेन, हाइवे है। मजदूर भी हैं, लेकिन फूड यूनिट लगे तो पलायन रुके।

 

 

 

 

नारी सम्मान के प्रति आकर्षण

इसी विधानसभा क्षेत्र का उमरधा गांव मेरा अगला पड़ाव था। गांव के एक आंगनबाड़ी केंद्र में चल रहे कार्यक्रम में महिलाओं से बात की तो कोमल, सुशीला, सुनीता ने कहा कि लाड़ली बहना हमारे लिए अच्छी है, लेकिन अब वे नारी सम्मान योजना भी जानती हैं। उन्होंने नारी सम्मान में ज्यादा पैसे व कम कीमत में टंकी मिलने की बात खुशी-खुशी बताई। घर पर गैस जला रही हो? यह पूछने पर बोलीं, गैस की टंकी महंगी हो गई है। इसलिए चूल्हा ही जलाती हैं। नजरपुरा की 54 साल की विमला बाई ने विषय परिवर्तन किया और बोलीं, पति की मौत के बाद 4 साल से सम्मान निधि नहीं मिली। यहीं मेरी मुलाकात चेनसिंह, लक्ष्मण, कलम से हुई। उन्होंने कहा 5 साल की गारंटी की रोड बनते ही उखड़ गई। भ्रष्टाचार से विकास को पलीता लग रहा है।

 

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नहर सुविधा हो तो सैकड़ों एकड़ भूमि सिंचित हो

हरदा के बाद मैंने अपना रुख टिमरनी विधानसभा सीट की ओर किया। हरदा से 45 किमी दूर टिमरनी के बड़वानी तक सड़क कहीं ठीक तो कहीं उखड़ी हुई थी। बड़वानी में ग्रामीण बोले, आरोग्य केंद्र में दो साल से सीएचओ, एक साल से एएनएम नहीं हैं। ओपीडी रजिस्टर में 21 सितंबर 21 के बाद कोई नाम दर्ज नहीं था। मोबाइल नेटवर्क उंचाई पर मुश्किल से मिलता है। रोजगार के लिए पलायन कर महाराष्ट्र जाते हैं। पेयजल संकट है। किसान चटटान सिंह ने कहा, श्मशान तक रोड नहीं बनने से बारिश में नदी किनारे शव जलाते हैं। मुन्ना चौहान बोले, खेती बारिश आधारित है। नहर सुविधा हो तो सैकड़ों एकड़ भूमि सिंचित हो।

 

भीषण गर्मी में आधा किमी दूर से रोज पानी लाती हैं महिलाएं

सुबह ग्यारह बजे यहां से उबड़ खाबड़ रास्ते से केलझिरी पहुंचा। चौपाल में बैठे आदिवासियों से सरकारी योजनाओं के पर चर्चा की। रामाधार काजले बोले, पीडीएस में गेहूं में कटौती हो गई, चावल से पेट नहीं भरता। दयाराम ठाकरे स्कूल की छत उडऩे से चिंतित थे। सुनीता बाई बोलीं, 15 किलो मेहनताने के बदले 60 लोग दिनभर मजदूरी करने 20 किमी दूर रहटगांव जाते हैं। सबसे बड़ी जरूरत रपटे पर पुल की है, जिससे बारिश में बीमार लोगों को अस्पताल ले जा सकें। डिजिटल युग में अभी तक यहां नेटवर्क सुविधा नहीं है। यहां पीएम सम्मान निधि नहीं मिलने से भी लोगों में नाराजगी दिखी। दोपहर होते—होते सूरत अपने पूरे तेवर दिखा चुका था। गर्म लपटों के बीच बाइक से सफर आगे बढ़ाया और गांगराढाना पहुंचा। यहां रामकली, कोकिला ने बताया कि पीने का पानी आधा किमी दूर से लाना महिलाओं के लिए गर्मी में रोज की चुनौती है।

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