एससी से बदलकर एसटी के लिए आरक्षित
साल 2008 के चुनाव (MP Election 2023) में पहली बार यह सीट एससी से बदलकर एसटी के लिए आरक्षित हुई। आदिवासी वर्ग से भाजपा के बड़े लीडर के रूप में केबिनेट मंत्री विजय शाह के छोटे भाई संजय शाह को भाजपा से टिकट मिलने की संभावना थी। ऐन वक्त पर हरदा के हस्तक्षेप से टिकट बदल गया। पूरी तैयारी कर चुके संजय शाह समर्थकों व अपने मकड़ाई राजघराने की पहचान के सहारे पतंग चुनाव चिन्ह पर निर्दलीय लड़े और जीते। बाद भी भाजपा में शामिल हो गए। 2013 और 2018 के चुनाव में भी पार्टी ने टिकट दिया। वे इस सीट से निर्दलीय जीतने वाले पहले विधायक हैं। इसी सीट में लगातार तीन बार जीत की हैट्रिक का रिकार्ड भी उन्हीं के नाम है। 2018 के चुनाव में उन्होंने अपने भतीजे कांग्रेस प्रत्याशी अभिजीत शाह को हराया था,हालांकि जीत का अंतर 5हजार से भी कम रहा।
मंत्री के लिए मौका नहीं मिला
केबिनेट मंत्री विजय शाह भी भाजपा से चुनाव लड़ते हैं। उनकी विधानसभा हरसूद है। हरदा जिले में हरदा व टिमरनी दो सीटें हैं। टिमरनी से 3 बार जीते संजय शाह को मंत्री बनने का मौका नहीं मिला। इससे पहले जनता पार्टी व 3 बार अलग अलग सालों में भाजपा से जीतने वाले मनोहरलाल राठौर को भी मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली। इसका कारण जिले की हरदा विस से 6 में से 5 चुनाव (MP Election 2023) जीते कमल पटेल को मौका मिलना बताया जाता है।
कभी कोई महिला प्रत्याशी नहीं रहीं
61 साल पहले अस्तित्व में आई इस सीट (MP Election 2023) पर भाजपा कांग्रेस दोनों ने कभी किसी महिला प्रत्याशी पर विश्वास नहीं जताया। यही कारण है कि यहां से कभी कोई महिला विधायक बनकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए विधानसभा तक नहीं पहुंच सकी। फिलहाल भी इस चुनाव में कोई उम्मीद नहीं है।
टिमरनी विधानसभा से अब तक जीते प्रत्याशी
साल नाम पार्टी
1962 धन्नालाल चौधरी भाराकां
1967 धन्नालाल चौधरी भाराकां
1972 केपी बस्तवार भाराकां
1977 मनोहर हजारीलाल राठौर जेएनपी
1980 श्यामलाल बाल्मिकी परदेशी भाराकां
1985 केपी बस्तवार भाराकां
1990 मनोहरलाल राठौर बीजेपी
1993 मनोहरलाल राठौर बीजेपी
1998 उत्तमसिंह सोनकिया भाराकां
2003 मनोहरलाल राठौर बीजेपी
2008 संजय शाह निर्दलीय
2013 संजय शाह भाजपा
2018 संजय शाह भाजपा
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