नर्मदा के उंचान घाट से रेत माफिया बेफिक्र होकर नर्मदा व आसपास की बंद खदानों से रेत चोरी कर रहा है। शाम ढलते ही नर्मदा से रेत निकालने के लिए जेसीबी,पोकलेन उतार दी जाती हैं। बीच नदी तक पहुंचने के लिए रेत माफिया ने नीचे बोल्डर उपर रेत डालकर आवागमन के लिए रास्ता तैयार कर लिया है। जिससे नदी के पानी का प्राकृतिक बहाव प्रभावित हो रहा है। माफिया जब रेत चोरी के लिए किसी कारण से जगह बदलता है तो ट्रैक्टर ट्रॉली से रेत चुराकर ले जाने वाले इसी रास्ते से होकर आते जाते हैं।
छीपानेर,मनोहरपुरा,गोयत,भमोरी में भी नर्मदा और खदानों से रेत की चोरी जारी है। रेत चोरों ने भी प्रशासनिक व खनिज विभाग के अफसरों की तर्ज पर मुखबिरों को जाल बिछा रखा है। वे जब भी किसी अंजान व्यक्ति,मीडिया या फिर अफसरों की गाड़ी को अपने क्षेत्र के आसपास घूमते देखते हैं तो तुरंत सक्रिय होकर सूचना दे देते हैं। गुरुवार को भी यही हुआ। नदी में से पोकलेन से रेत निकाली जा रही थी। कैमरा निकालते ही तेजी से मशीन बाहर निकालकर किनारे खड़ी कर दी गई,जिससे यह साबित किया जा सके कि मशीन का उपयोग नहीं हो रहा था। कई बार इसी तर्क के आधार पर कार्रवाई नहीं हो पाती है।
विकास यात्रा का माफिया ने उठाया फायदा:
जिले मेें 5 से 25 फरवरी तक विकास यात्रा निकाली गई। इसमें जनप्रतिनिधियों के अलावा पूरा प्रशासनिक अमला दिन रात व्यस्त था। इस यात्रा की सफलता का पूरा दारोमदार अफसरों पर ही था। इसका फायदा उठाते हुए रेत माफिया ने नर्मदा में बीच तक जाने के लिए नियम विरुद्ध रास्ता बना दिया। मशीनों से रेत निकालकर डंपरों से ढोयी। यात्रा के बाद अफसर वापस काम काज में लग गए,जिससे रेत चोरी जारी है।
जिले मेें 5 से 25 फरवरी तक विकास यात्रा निकाली गई। इसमें जनप्रतिनिधियों के अलावा पूरा प्रशासनिक अमला दिन रात व्यस्त था। इस यात्रा की सफलता का पूरा दारोमदार अफसरों पर ही था। इसका फायदा उठाते हुए रेत माफिया ने नर्मदा में बीच तक जाने के लिए नियम विरुद्ध रास्ता बना दिया। मशीनों से रेत निकालकर डंपरों से ढोयी। यात्रा के बाद अफसर वापस काम काज में लग गए,जिससे रेत चोरी जारी है।
एक रायल्टी पर दो ट्रिप की होड़:
रेत के ओवरलोड डंपर अंधी गति होने के कारण कई बार दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। रेत का डंपर चलाने वाले एक ड्राइवर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई बार दूरी ज्यादा नहीं होती है तो वे एक रायल्टी पर दो ट्रिप भी लगाते हैं। इससे मालिक व उन्हें दोनों को ही फायदा होता है। टाइम कवर करने की कोशिश के दौरान ही गति तेज होने पर दुर्घटना की स्थिति निर्मित होती है। लेकिन बीमा व लाइसेंस होने के कारण गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है,जिसमें ज्यादा नुकसान नहीं होता है। इस कारण वे ऐसा जोखिम लेते हैं।
ट्रॉलियों पर कृषि कार्य के लिए लिखा होता है। आरटीओ में भी इसी प्रयोजन से इनका पंजीयन होता है। लेकिन जिले में नर्मदा किनारे बसे गांवों में इनका उपयोग केवल रेत,गिटटी,बजरी,मुरम की ढुलाई में व्यवसायिक रुप से हो रहा है। शहरों में इन ट्रॉलियों को लोग बिल्डिंग मटेरियल ढोने में खुलेआम कर रहे हैं,जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यह सब पुलिस थाने के सामने से ही सालों से हो रहा है।
अधिकारी बोले..
कल ही वहां टीम भेजकर जांच व कार्रवाई कराएंगे। यदि मौके पर अवैध खनन पाया गया तो तुरंत सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। 20 दिन पहले ही उंचान घाट के पास कार्रवाई की थी। प्रशासन अवैध खनन की हर सूचना को गंभीरता से लेकर कार्रवाई कर रहा है।
-प्रवीण फुलपगारे,एडीएम,हरदा