लोक निर्माण विभाग (एनएच) ने आरओबी के प्रस्ताव तैयार किए थे। करीब डेढ़ साल पहले यह स्वीकृत भी हो गया। इसके बाद रेलवे से मंजूरी मिलने के इंतजार में कई दिन बीत गए। बात आगे बढ़ी और सर्वे हुआ। डीपीआर भी तैयार हो गई। करीब छह महीने पहले ३२ करोड़ की लागत वाली डीपीआर को अंतिम रूप देकर केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय को भेजा गया। तभी मामला ठंडे बस्ते में है। शासन-प्रशासन के अधिकारी इसके वापस लौटने की राह ताक रहे हैं, ताकि निर्माण संबंधी कार्रवाई आगे बढ़ सके।
बीते पांच साल में टे्रन टै्रफिक डबल होने से रेलवे फाटक २४ घंटे में औसतन 130 बार बंद हो रहा है। एक के बाद एक कई ट्रेन निकलने से फाटक देर तक बंद रहता है। ट्रेन ऑपरेटिंग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक 5 साल पहले तक इटारसी-खंडवा रेलखंड पर जहां 24 घंटे के दौरान 6 0 से 70 यात्री व मालगाड़ी गुजरती थी। वहीं इस अवधि में अब इनकी संख्या 130 तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा अनाज लदान और खाद खाली होने के दौरान रैक लगने पर शंटिंग का काम करते समय भी फाटक बंद करना पड़ता है। टॉवर वैगन और सुधार कार्य से जुड़ी अन्य मशीनों के ट्रैक पर गुजरने से 24 घंटे में फाटक बंद होने का आंकड़ा और बढ़ जाता है। इस स्थिति में फाटक के दोनों और वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। सुबह और शाम को ट्रेन ट्रैफिक ज्यादा होने से फाटक देर तक बंद रहता है। सड़क पर यातायात का दबाव भी हर दिन बढ़ रहा है। इसके चलते रेलवे गेट के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग जाती है।
खास बात यह है कि वर्षों से व्याप्त इस समस्या को दूर करने को लेकर जनप्रतिनिधियों का रवैया भी उदासीन है। निर्माण शुरू कराने को लेकर उनके द्वारा शासन स्तर पर ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे।
रेलवे गेट देर तक बंद होने से दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। गेट खुलते ही पहले निकलने की होड़ में चालक वाहन लेकर बेतरतीब हो जाते हैं। इसके चलते ट्रैफिक जाम हो जाता है। इसी बीच ट्रेन आने के संकेत मिलते ही रेलकर्मी दोबारा फाटक बंद करने का प्रयास करने लगता है। इसके चलते पीछे छूटे वाहन निकल ही नहीं पाते।
होशंगाबाद-खंडवा स्टेट हाइवे का ठेका समाप्त होने के बाद से इसकी मरम्मत भी बंद हो गई है। बारिश के कारण सड़क पर जगह-जगह गड्ढे बढ़ते जा रहे हैं। जंगली झाडिय़ां सड़क तक आने से रास्ता सिकुड़ता जा रहा है। इस स्थिति में यहां हर पल दुर्घटना का अंदेशा रहता है। अब सड़क का रखरखाव न एमपीआरडीसी कर रही, ना ही लोक निर्माण विभाग (एनएच) ज्ञात हो कि 15 साल पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सड़क को लोक निर्माण विभाग से एमपीआरडीसी (मप्र रोड डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन) के सुपुर्द कर बीओटी (बिल्ट, ऑपरेट देन ट्रांसफर) योजना के तहत ठेके पर इसका निर्माण कराया था। इस अवधि में होशंगाबाद से खंडवा तक करीब 210 किमी में चार स्थानों (होशंगाबाद, पगढाल, छीपावड़ व खंडवा) पर टोल वसूली होती थी। इसके अलावा स्टेट हाईवे से मिलने वाली अन्य छोटी सड़कों पर भी बैरियर लगाकर टोल वसूली की गई थी। इस दौरान सड़क के रखरखाव का जिम्मा निर्माण कंपनी का था। टोल वसूली चली तब तक तो सड़क का मेंटेनेंस कुछ हद तक हुआ भी, लेकिन इसकी मियाद खत्म होने के चलते यह भी बंद हो गया।
कुछ दिन पहले ही मैंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर इस संबंध में चर्चा की थी। फाइल आगे क्यों नहीं बढ़ रही इसका पता कर आरओबी निर्माण जल्द शुरू कराने के प्रयास किए जाएंगे।
– ज्योति धुर्वे, सांसद, बैतूल-हरदा
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डीपीआर तैयार कर स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार के पास गई है। वहां से फाइल लौटने पर ही आगे की कार्रवाईकी जाएगी। होशंगाबाद-खंडवा स्टेट हाइवे का रखरखाव विभाग के पास नहीं है। केवल कड़ौला से इंदौर-बैतूल नेशनल हाइवे तक बायपास निर्माण की डीपीआर तैयार करने का जिम्मा मिला है। यह कार्य प्रगति पर है।
– अनिल गौड़, कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग (एनएच), इंदौर संभाग