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हरदा की घटना के बाद भोपाल में सीएम मोहन यादव ने दोपहर में इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। सीएम के साथ मीटिंग में मुख्य सचिव वीरा राणा और डीजीपी सुधीर सक्सेना सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने लोगों को बचाने व राहत पहुंचाने की व्यवस्था पर विचार किया। इसके बाद मंत्री उदयप्रताप सिंह और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को हरदा भेजा गया।
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सुबह करीब 11.30 बजे हुए इस हादसे में अधिकारियों के अनुसार अभी तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 200 लोगों के घायल होने की भी बात कही जा रही है। हालांकि कारखाने में काम कर रहे घायलों और स्थानीय लोगों की मानें तो हताहतों की संख्या कई गुना ज्यादा हो सकती है। इनके अनुसार हादसे में मौतों का आंकड़ा 100 तक जा सकता है।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ब्लास्ट इतना तेज था कि ऐसे लगा जैसे भूकंप आ गया है। ब्लास्ट से आसपास की कई इमारतें हिल गईं। कई कच्चे मकान तो ढह गए। चार मंजिला पटाखा फैक्ट्री तो पूरी तरह धराशायी हो गई। इसके सीमेंट लोहे के पिलर्स कई फीट दूर जा गिरे थे।
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फैक्ट्री में काम कर रहे मजदूरों के परिजनों और आसपास रह रहे लोगों का कहना है कि घटना के समय फैक्ट्री के अंदर मौजूद लोगों के बच पाने की संभावना बेहद कम है। इन लोगों का कहना है कि उस समय अंदर कम से कम 100 लोग काम कर रहे थे। फैक्ट्री में काम कर रही और हादसे में घायल हुई एक महिला का तो कहना है कि उस वक्त अंदर करीब 150 लोग थे।
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फैक्ट्री की कर्मचारी घायल महिला रुखसार के अनुसार धमाके आवाज आते ही लोग बाहर की ओर भागे। तभी एक तेज ब्लास्ट हुआ तब कई लोग अंदर ही थे। अंदर रह गए लोगों की मौत हो गई। मैंने खुद कई लाशें देखीं। कई बच्चे और महिलाएं नहीं मिल रहीं। लोगों का यह भी कहना है कि ऐसा हादसा उन्होंने इससे पहले कभी नहीं देखा।
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ब्लास्ट से फैक्ट्री के लोहे के टुकड़े, पत्थर—बोल्डर और टीन शेड उड़कर आधा किमी के दायरे में रास्तों और खेतों में जा गिरे। इन पत्थरों, लोहे के टुकड़ों के कारण कई लोगों की मौत हुई। अभी जो आंकड़ा आया है उनमें ऐसे ही लोग हैं जोकि रास्तों से जा रहे थे या खेतों में काम कर रहे थे और लोहे के टुकड़े, पत्थर—बोल्डर या टीन शेड के टुकड़े उन्हें जा लगे जिससे उनकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि फैक्ट्री के मजदूर तो मलबे में ही दबे हैं।