प्रशासन ने आधिकारिक रूप से इस हादसे में 13 लोगों के मारे जाने की बात कही है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है हादसे में दर्जनों लोगों की मौत हुई लेकिन सरकार आंकड़ा छुपा रही है। कई आमजनों ने भी यही बात कही है कि हताहतों की संख्या 13 से कहीं अधिक है। अब लापता लोगों के परिजन भी आगे आ रहे हैं जिससे यह आशंका गहरा रही है।
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खंडवा की आरती धुर्वे हादसे के बाद से ही अपने पति सुनील की तलाश करते हुए यहां से वहां भटक रही है। सुनील भी पटाखा कारखाने में ही काम करते थे। खरगौन निवासी कैलाश परमार, हरदा की जेबुन बी भी लापता लोगों में शामिल हैं। करीब आधा दर्जन लोगों के परिजन इस संबंध में पुलिस को शिकायत कर चुके हैं।
इस बीच यह बात भी सामने आई कि दो शव इतने झुलस गए थे कि उनकी अभी तक शिनाख्त नहीं हो सकी है। अब पुलिस लापता लोगों के परिजनों के खून के सेंपल लेकर डीएनए टेस्ट कर शवों की शिनाख्त करने की कोशिश कर रही है।
गौरतलब है कि हादसे के दूसरे दिन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी मौके पर पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन ने कई शव जेसीबी चलवाकर मलबे में दबा दिए हैं।
खाली प्लॉट पर गड्ढा खोदकर दबाया मलबा
बैरागढ़ में रहने वाले अरुण चौहान का घर ब्लास्ट में पूरा बर्बाद हो गया। हादसे के बाद शुक्रवार को जब घर पहुंचे तो पीछे वाले खाली प्लॉट पर गड्ढा दिखाई दिया। करीब 20 फीट गहरा यह गड्ढा जेसीबी से खोदा गया था और उसमें बारुद या कुछ और डालकर मिट्टी से दबाया जा रहा था। जब उसने वहां मौजूद लोगों से पूछा कि यह क्या कर रहे हो तो उन्होंने कहा कि यहां गड्ढा गलती से खोदा गया है।
अरुण के अनुसार खोदी हुई जगह पर बेहद तेज दुर्गंध आ रही थी। इसके बाद पुलिसकर्मी ने उन्हें घर के पास से हटा दिया और घर तक जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि फैक्ट्री के पीछे करीब 35 घर हैं लेकिन किसी को भी अब घर तक नहीं जाने दिया जा रहा है। पटाखे के धमाके में उनकी मां क्षमाबाई भी गंभीर रूप से घायल हुईं।