हादसे के वक्त हरदा के संजय पटेल अपने एक दोस्त के साथ थे। ये दोनों घटनास्थल से करीब 500 मीटर दूर पेट्रोल पंप पर खड़े थे। संजय पटेल ने हादसे की आंखों देखी बयान की। उन्होंने बताया—
सुबह करीब 11.25 बजे की बात होगी। हम पेट्रोल भरवा रहे थे कि तेज धमाके की आवाज आई। पता चला कि पास की पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ है। सभी लोग चर्चा ही कर रहे थे कि तभी एक और धमाका हुआ। इस बार इतनी तेज आवाज आई कि लोग दहल उठे। दो जबर्दस्त धमाकों और आग के गोलों व धुआं का गुबार उठते देख लोग घबरा उठे। हम सभी लोग भी जान बचाने के लिए वहां से भागे।
यह भी पढ़ें: Harda factory accident – रास्तों में बिखरी पड़ी हैं लाशें, कई फीट ऊपर तक उड़ गए लोग कुछ मिनटों बाद हिम्मत जुटाकर मैं आगे आया तो पूरा माहौल बदल चुका था। मौके पर चीखपुकार मची हुई थी, लोग मदद की गुहार लगा रहे थे। पटाखा कारखाना तो पूरा बर्बाद हो चुका था, उसके आसपास जाने से भी लोग डर रहे थे। दरअसल यहां विकराल आग तो थी ही, बार बार धमाके भी हो रहे थे जिसके कारण लोग डरे हुए थे।
कारखाने के आधा किमी के दायरे के मकान टूट गए थे, कई मकान तो धराशायी हो गए। धमाके इतने तेज थे कि लोग रोड पर ही अपने वाहन छोड़कर भागे। भीषण ब्लास्ट से फैक्ट्री में लगे लोहे और पत्थर आदि के टुकड़े भी आधा किमी तक बिखर गए। एक युवक का सिर लोहे का टुकड़ा लगने से कट गया था। लोहे और पत्थर लगने से कई लोग घायल हुए हैं।
फैक्ट्री के पास का मंजर तो बेहद भयावह था। यहां एक शव पड़ा था जोकि जलकर पूरी तरह खाक हो चुका था। बाद में मोबाइल पर दोस्तों से बात की तो पता लगा कि ब्लास्ट इतना भयंकर था कि फैक्ट्री का गुबार करीब एक किमी दूर हरदा के मुख्य बाजार घंटाघर तक आया था। ब्लास्ट के बाद घंटाघर बाजार भी बंद हो गया था। धमाका इतना तेज था कि लोग अपने वाहन रोड पर ही छोड़कर भागे। व्यापारी भी दुकान बंद—बंद कर भागे।
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी दीपक गुजरे ने बताया कि पटाखा फैक्ट्री में पहले विस्फोट के करीब 10 मिनट बाद दूसरा विस्फोट हुआ था जोकि भयावह साबित हुआ। पहले विस्फोट के बाद कुछ लोग सहायता करने के लिए फैक्ट्री की ओर दौड़े थे लेकिन दूसरा विस्फोट होते ही ये लोग भी अपनी जान बचाने के लिए भागे। गुजरे बताते हैं कि हादसे के बाद रास्तों पर भी कई लाशें पड़ीं थीं।