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हरदा

इस बांध के कारण आ रहे भूकंप के झटके, ग्रामीणों में दहशत

बंद किए सरदार सरोवर बांध के 8 गेट, बढऩे लगा जल स्तर. डूब गांवों में प्रभावित गांवों में बढऩे लगी परेशानी, बिजली और पेयजल का संकट

हरदाAug 27, 2019 / 08:21 pm

deepak deewan

earthquake due to Sardar Sarovar Dam

earthquake due to Sardar Sarovar Dam

बड़वानी. सरदार सरोवर बांध के 23 में से 8 गेट मंगलवार को बंद कर दिए गए। इससे नर्मदा के जल स्तर म बढ़ोत्तरी होना शुरू हो गई। इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर का पानी लगातार बड़वानी तक पहुंच रहा है इससे यहां पानी लगातार बढ़ रहा है। मंगलवार रात आठ बजे नर्मदा का जल स्तर राजघाट पर 133.600 मीटर हो गया है। उधर, जिले के डूब ग्राम छोटा बड़दा में नर्मदा बचाओ आंदोलन नेत्री मेधा पाटकर रविवार से अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठीं हैं। उनके साथ रोज चार महिलाएं क्रमिक अनशन कर रही हैं। मंगलवार को फिर प्रशासन का अमला मेधा पाटकर को मनाने पहुंचा, लेकिन नाकाम रहा। वे बिना पूरा पुनर्वास हुए बांध के सारे गेट भरकर 138 मीटर पानी भरने का विरोध कर रही हैं। वहीं गुजरात स्थित सरदार सरोवर बांध के सोमवार को 23 गेट खोलने से आंदोलनकारियों को कुछ उम्मीद बढ़ी थी, लेकिन मंगलवार को 8 गेट फिर से बंद करने से उनकी उम्मीदों को झटका लगा है।
नबआं नेत्री मेधा पाटकर ने कहा हमारी मांग है कि सरदार सरोवर बांध के संपूर्ण गेट खुले रखना चाहिए। गुजरात के सारे जलाशय लबालब भरे हैं, उसे पानी की आवश्यकता नहीं है और मध्यप्रदेश बिजली सरप्लस होने से उनकी बिजली की जरूरत नहीं है। फिर भी मध्यप्रदेश के लोगों को बिना पूरा पुनर्वास किए क्यों डुबोया जा रहा है। जब तक पुनर्वास पूरा नहीं किया जाता, तब तक बांध में पानी भरना न्यायिक रूप से तर्क संगत नहीं है। जल स्तर बढऩे से अग्नेश्वर घाट पर अनशन स्थल से कुछ दूरी तक भी पानी पहुंच गया है।
नहीं कराया स्वास्थ्य परीक्षण
मंगलवार दोपहर 2 बजे सत्याग्रह पर बैठी पाटकर के हाल चाल जानने के लिए अपर कलेक्टर रेखा राठौड़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनीता रावत, तहसीलदार सविता चौहान, टीआई गिरीश कुमार कवरेती दल बल सहित पहुंचे थे। उन्होंने एनबीए नेत्री पाटकर से नर्मदा चुनौती सत्याग्रह समाप्त करने का आग्रह किया। पाटकर की सेहत बिगड़ रही है, लेकिन तीसरे दिन भी उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को परीक्षण नहीं करने दिया।
टेस्टिंग के नाम पर डुबोया जा रहा
एनबीए नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि आंदोलन राजनीति से प्रेरित नहीं होकर विकास नीति की बात पर आधारित है। विकास के नाम पर इन बड़े बांधों के जरिए बड़ा विनाश किया जा रहा है। गुजरात एवं केंद्र सरकार की हठधर्मिता के चलते टेस्टिंग के नाम पर बांध में 139 मीटर तक जल भरकर मध्यप्रदेश के नर्मदा घाटी में बसे आम लोग और आदिवासियों को डुबोया जा रहा है। गुजरात का भी कर्तव्य है कि संपूर्ण पुनर्वास होने तक सरदार सरोवर बांध को पूरा नहीं भरा जाना चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि पिछले 15 वर्षों में जो नहीं हुआ वह पिछले 10 माह में प्रदेश की सरकार जवाबदारी नहीं ले पाई और संपूर्ण पुनर्वास की मांग को सशक्त ढंग से नहीं उठाया।
बांध के कारण आ रहे भूकंप के झटके
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया। वर्ष 2008 से 10 तक 16 हजार परिवारों को डूब क्षेत्र से बाहर करने की साजिश रची गई। जबकि यह परिवार डूब प्रभावित हैं। पाटकर ने आरोप लगाया कि सरदार सरोवर बांध का पानी रोकने के कारण राजपुर ब्लॉक के कई गावों में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत है। प्रदेश सरकार के सचिव से मिले पत्र के अनुसार मध्यप्रदेश ने गुजरात से 18 57 करोड़ रुपए की मांग की जो नहीं दिए जा रहे हैं। इससे पुनर्वास नीति प्रभावित हो रही है।

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