मंगलवार दोपहर 2 बजे सत्याग्रह पर बैठी पाटकर के हाल चाल जानने के लिए अपर कलेक्टर रेखा राठौड़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनीता रावत, तहसीलदार सविता चौहान, टीआई गिरीश कुमार कवरेती दल बल सहित पहुंचे थे। उन्होंने एनबीए नेत्री पाटकर से नर्मदा चुनौती सत्याग्रह समाप्त करने का आग्रह किया। पाटकर की सेहत बिगड़ रही है, लेकिन तीसरे दिन भी उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को परीक्षण नहीं करने दिया।
एनबीए नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि आंदोलन राजनीति से प्रेरित नहीं होकर विकास नीति की बात पर आधारित है। विकास के नाम पर इन बड़े बांधों के जरिए बड़ा विनाश किया जा रहा है। गुजरात एवं केंद्र सरकार की हठधर्मिता के चलते टेस्टिंग के नाम पर बांध में 139 मीटर तक जल भरकर मध्यप्रदेश के नर्मदा घाटी में बसे आम लोग और आदिवासियों को डुबोया जा रहा है। गुजरात का भी कर्तव्य है कि संपूर्ण पुनर्वास होने तक सरदार सरोवर बांध को पूरा नहीं भरा जाना चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि पिछले 15 वर्षों में जो नहीं हुआ वह पिछले 10 माह में प्रदेश की सरकार जवाबदारी नहीं ले पाई और संपूर्ण पुनर्वास की मांग को सशक्त ढंग से नहीं उठाया।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया। वर्ष 2008 से 10 तक 16 हजार परिवारों को डूब क्षेत्र से बाहर करने की साजिश रची गई। जबकि यह परिवार डूब प्रभावित हैं। पाटकर ने आरोप लगाया कि सरदार सरोवर बांध का पानी रोकने के कारण राजपुर ब्लॉक के कई गावों में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत है। प्रदेश सरकार के सचिव से मिले पत्र के अनुसार मध्यप्रदेश ने गुजरात से 18 57 करोड़ रुपए की मांग की जो नहीं दिए जा रहे हैं। इससे पुनर्वास नीति प्रभावित हो रही है।