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धौलाना के ब्राह्मण समाज का कहना है कि, रावण एक विद्वान थे। आज तक पूरे विश्व पटल में उनके जैसा विद्वान पैदा नहीं हुआ। रावण ने अपनी मुक्ति पाने के लिए ही ये मार्ग अपनाया था। ब्राह्मण समाज उच्च स्तर पर समाज के लोगों को जागरुक कर लंकापति रावण के पुतले की दहन पर रोक लगाने की मांग कर रहा है। यदि रावण दहन नहीं रुका तो ब्राह्मण समाज उच्च स्तर पर इसका विरोध जताते हुए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगा।
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के जिला संयोजक पण्डित केके शर्मा का कहना है कि, ब्राह्मण समाज़ की यह बड़ी विडंबना है कि, इतने अधिक विद्वान और ज्ञानी व्यक्ति का पुतला फूंक कर समाज में गलत किया जाता रहा है। जबकि सच बात यही है कि रावण ने अपनी बहन का बदला लेने के लिए श्रीराम के साथ युद्ध किया था। वर्तमान समय में हमारे समाज में आज भी बहुत सारे भ्रष्टाचारी, बलात्कारी हैं उनका पुतला जलाया जाना चाहिए, ना कि विद्वान रावण का जलाना चाहिए। हम लोग इस बात का पुरजोर विरोध करते हैं कि विद्वान और ज्ञानी व्यक्ति रावण का रामलीला के बाद पुतला दहन किया जाता है। हालांकि, रामलीला के मंचन से हमें कोई आपत्ति नहीं है।