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उद्यान विभाग करेगा मदद मूली की खेती को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से ही अब उद्यान विभाग किसानों को लाल मूली की खेती करने के गुर बता रहा है। इसको लेकर कृषि विभाग भी जागरूकता अभियान चलाएगा। जिसमें किसानों को लाल मूली के लिए जागरूक करेगा। गढ़मुक्तेश्ववर कृषि सहायक प्राविधिक सतीश शर्मा के मुताबिक इससे किसानों का रुझान लाल मूली की खेती की ओर बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि लाल मूली भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई है। लाल मूली सफेद के मुकाबले अधिक महंगी बिकती है, इसके साथ ही ये सेहत के लिए काफी गुणकारी है। इसमें एंटी आक्सीडेंट की मात्रा अधिक है, जो लोगों की आंखों की रोशनी के लिए अच्छा है। यह कैंसर पीड़ितों के लिए सेहतमंद होती है। इसमें विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो कि शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करने के साथ ही लीवर को भी लाभ पहुंचाता है।
40-45 दिन में तैयार होती है प्रजाति, देती है अच्छी उपज
लाल मूली की फसल मात्र 40-45 दिनों में ही तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर बुवाई के लिए 8-10 किलो बीज की जरूरत पड़ती है। जबकि इसकी उपज प्रति हेक्टेयर 600-700 प्रति कुंटल होती है। शरद ऋतु में लाल मूली के लिए बलुई दोमट मिट्टी मुफीद होती है। किसी भी फसल के साथ मेड़ पर इसकी बुआई की जा सकती है। चूंकि गढ मुक्तेश्वर गंगा का किनारा है और यहां की मिटटी इस मूली के लिए काफी मुफीद है तो यहां के किसान इसकी फसल उगाकर काफी लाभ कमा सकते हैं।
सतीश शर्मा ने बताया कि इस मूली में पेलार्गोनिडीन नामक एंथोसायनिन की उपस्थिति के कारण इसका रंग लाल होता है। जून 2020 से इसका बीज बाजार में मिल रहा है। उन्होंने बताया इस पर 2012 से काम चल रहा था। सतीश शर्मा ने बताया कि मूली को पीलिया के लिए एक प्राकृतिक औषधि माना जाता है। इसका एक मजबूत डिटाक्सिफाइंग प्रभाव है, जो रक्त से जहरीले तत्वों को निकालता है। यह आक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाकर पीलिया से पीड़ित लोगों में लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने को रोकने में मदद करता है।