हनुमानगढ़. साउथ घग्घर कैनाल की नहरों को निर्धारित रेग्यूलेशन से दो दिन पहले बंद करने से करीब पांच हजार किसानों की बारियां पिट गई। किसान जब अधिकारियों के पास फरियाद लेकर पहुंचे तो पहले अफसरों ने टालमटोल करने की कोशिश की। लेकिन किसानों के रोष को देखते हुए अधिकारियों के तेवर नरम पड़े।
इसके बाद शनिवार दोपहर तीन बजे साउथ घग्घर कैनाल की नहरों को फिर से चलाया गया। पानी चलने के बाद किसानों के मायूस चेहरों पर खुशी झलक पड़ी। नहर में पानी चलाने पर अब प्यासे खेतों को पानी नसीब हो सकेगा। किसानों का कहना है कि अगर उनकी बारी की भरपाई नहीं होती तो अगली बारी ३० से ३५ दिन बाद आती। इतने समय में सारी फसल झुलस जाती।
किसानों ने बताया कि साऊथ घग्घर कैनाल रेग्यूलेशन के मुताबिक पांच जुलाई २०२१ को बंद होनी थी। लेकिन किसी कारणवश अभियंताओं ने इस नहर को दो दिन पहले यानी तीन जुलाई को ही बंद कर दी। इससे कई किसानों की बारियां पिट गई। पिटी बारी की भरपाई करने के लिए इस नहर को १७ जुलाई से चलाने की मांग को लेकर किसानों ने १६ जुलाई को अधीक्षण अभियंता का घेराव किया था। मुख्य अभियंता से वार्ता के दौरान फिर से नहर खोलकर पिटी बारी की भरपाई करने का आश्वासन मिलने पर किसानों का गुस्सा शांत हुआ था। अब १७ जुलाई को साऊथ घग्घर कैनाल की नहरों को चलाने पर किसानों ने राहत की सांस ली है। इस परियोजना से जुड़े किसानों का कहना है कि साउथ घग्घर कैनाल की नहरों का शेयर भाखड़ा में निर्धारित है। भाखड़ा के शेयर के अनुपात में ही इस नहर में पानी चलता है।
इसके बाद शनिवार दोपहर तीन बजे साउथ घग्घर कैनाल की नहरों को फिर से चलाया गया। पानी चलने के बाद किसानों के मायूस चेहरों पर खुशी झलक पड़ी। नहर में पानी चलाने पर अब प्यासे खेतों को पानी नसीब हो सकेगा। किसानों का कहना है कि अगर उनकी बारी की भरपाई नहीं होती तो अगली बारी ३० से ३५ दिन बाद आती। इतने समय में सारी फसल झुलस जाती।
किसानों ने बताया कि साऊथ घग्घर कैनाल रेग्यूलेशन के मुताबिक पांच जुलाई २०२१ को बंद होनी थी। लेकिन किसी कारणवश अभियंताओं ने इस नहर को दो दिन पहले यानी तीन जुलाई को ही बंद कर दी। इससे कई किसानों की बारियां पिट गई। पिटी बारी की भरपाई करने के लिए इस नहर को १७ जुलाई से चलाने की मांग को लेकर किसानों ने १६ जुलाई को अधीक्षण अभियंता का घेराव किया था। मुख्य अभियंता से वार्ता के दौरान फिर से नहर खोलकर पिटी बारी की भरपाई करने का आश्वासन मिलने पर किसानों का गुस्सा शांत हुआ था। अब १७ जुलाई को साऊथ घग्घर कैनाल की नहरों को चलाने पर किसानों ने राहत की सांस ली है। इस परियोजना से जुड़े किसानों का कहना है कि साउथ घग्घर कैनाल की नहरों का शेयर भाखड़ा में निर्धारित है। भाखड़ा के शेयर के अनुपात में ही इस नहर में पानी चलता है।
पत्रिका का जताया आभार
आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाले नहर क्षेत्र के किसान मांगीलाल स्वामी ने बताया कि शनिवार दोपहर तीन बजे साऊथ घग्घर कैनाल की नहरों में पानी प्रवाहित कर दिया गया। उन्होंने पत्रिका का भी धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही कहा कि पत्रिका ने किसानों की आवाज को बुलंद किया। इससे करीब पांच हजार किसानों के खेतों में अब पानी पहुंच सकेगा।
आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाले नहर क्षेत्र के किसान मांगीलाल स्वामी ने बताया कि शनिवार दोपहर तीन बजे साऊथ घग्घर कैनाल की नहरों में पानी प्रवाहित कर दिया गया। उन्होंने पत्रिका का भी धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही कहा कि पत्रिका ने किसानों की आवाज को बुलंद किया। इससे करीब पांच हजार किसानों के खेतों में अब पानी पहुंच सकेगा।