हनुमानगढ़

राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की अनूठी मुहिम, चर्चा में है बहलोलनगर गांव

Hanumangarh News : राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की अनूठी मुहिम। राजस्थान का एक गांव जहां पर शादी ब्याह-बाजार से लेकर सियासी प्रचार तक राजस्थानी भाषा का हो रहा है प्रयोग। जानें हनुमानगढ़ के इस गांव का नाम।

हनुमानगढ़Dec 13, 2024 / 12:47 pm

Sanjay Kumar Srivastava

अदरीस खान
Hanumangarh News : सियासी प्रचार से लेकर ब्याह-बाजार तक व्यवहार में राजस्थानी भाषा को अपनाकर मान्यता की मुहिम को मुखर कर रहा निकटवर्ती गांव बहलोलनगर। गांव में ब्याह के निमंत्रण पत्रों, बाजार में दुकानों के होर्डिंग- बैनर, वाहनों, सार्वजनिक स्थलों आदि पर राजस्थानी में ही तमाम सूचना व जानकारी लिखी दिखाई देती है। गत विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ प्रत्याशियों ने भी ग्रामीणों की मंशा के अनुरूप दीवारों पर अपना प्रचार राजस्थानी भाषा में ही कराया।

मायड़ भाषा प्रेमी इस अंदाज में बढ़ा रहे मुहिम

राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता दिलाने संबंधी सरकारों व नेताओं के कोरे आश्वासनों से तंग होकर मायड़ भाषा प्रेमी इस अंदाज में मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। राजस्थानी भाषा को जीवन का हिस्सा बनाते हुए इसे अधिकाधिक व्यवहार में अपनाने की कोशिश की जा रही ताकि सबके आचार-विचार में मायड़ भाषा ही नजर आए।
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जनता देगी मान्यता

राजस्थानी भाषा को मान्यता की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे मायड़ भाषा प्रेमियों का मानना है कि हमारी पहचान राजस्थानी है, कोई अन्य थोपी हुई भाषा पहचान नहीं हो सकती। राजस्थानी पहली राजभाषा बने, इसके लिए पहले असल मान्यता देने वाली तो जनता ही है। इसलिए क्यों ना राजस्थानी को अधिकाधिक व्यवहार में इस्तेमाल किया जाए। संवैधानिक मान्यता दिलाने की मुहिम समानांतर चलती रहेगी। यही वजह है कि इसे व्यवहार में अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी राजस्थानी भाषा के अधिकाधिक उपयोग को लेकर लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

अब क्या देर

केन्द्रीय साहित्य अकादमी तथा राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने क्रमश: 1972 व 1983 से राजस्थानी को मान्यता दे रखी है। उच्च माध्यमिक स्तर व बीए, एमए, नेट, स्लेट, पीएचडी आदि राजस्थानी में होती है। यूजीसी ने भी मान्यता दे रखी है। एनसीईआरटी इसे पढ़ाई योग्य विषय मानती है।

मातृभाषा हिन्दी की जगह लिखाई राजस्थानी

बहलोलनगर के राजकीय विद्यालय में शाला दर्पण पोर्टल पर बच्चों की मातृभाषा हिंदी दर्ज थी। वर्ष 2022 में 372 बच्चों की मातृभाषा हिंदी की जगह राजस्थानी करवाई। पिछले साल आईपीएल के दौरान हरीश हैरी ने राजस्थानी में कॉमेंटरी की वीडियो बनाई जो खूब वायरल हुई। भामाशाह कस्वां परिवार ने विद्यालय का दरवाजा तैयार करवा उद्घाटन पट्ट पर राजस्थानी लिखवाई। सरपंच गुरलालसिंह सिद्धू पंचायत स्तर पर गांव में नारे, पेटिंग, स्लोगन, जन सूचना आदि राजस्थानी में लिखवाते हैं। बस अड्डे पर स्थित प्याऊ पर राजस्थानी भाषा की मान्यता से होने वाले फायदे लिखाए गए हैं। विस चुनाव में गणेशराज बंसल ने गांव में राजस्थानी में बैनर लगाकर चुनाव प्रचार किया।

मायड़ भाषा स्यूं जुड़ी फैक्ट फाइल

  • संविधान की आठवीं अनुसूची में अभी 22 भाषाएं शामिल। आजादी के समय 14 भाषाएं थी।
  • राजस्थानी भाषा को नेपाल में मान्यता है। सीताराम लालस का ग्यारह खंडों में राजस्थानी का शब्दकोष प्रकाशित है। इसमें चार लाख शब्द हैं।
  • जैन मुनि उद्योत्तम सूरी आदिकाल के साहित्यकार भी हैं। उनकी पुस्तक कूवल्य माला में 18 भाषाओं का उल्लेख है। इसमें राजस्थानी का मरु भाषा के रूप में जिक्र है। – भाषा संबंधी सर्वे रिपोर्ट के अनुसार विश्व में करीब 3300 भाषाएं हैं। इसके आधार पर विश्व में राजस्थानी 16 नबर पर है। देश में छठे नबर पर है। (स्रोत: अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति)

ग्रामीणों का सत्याग्रह

गांव बहलोलनगर में आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी अभियान से जुड़े साहित्यकार हरीश हैरी की प्रेरणा से ग्रामीण राजस्थानी भाषा को व्यवहार में शामिल कर रहे हैं। वे बताते हैं कि राजस्थानी भाषा को व्यवहार की भाषा बनाकर सबसे पहले स्वयं के स्तर पर मान्यता देने पर जोर दिया जा रहा है। गांव की दर्जनों दुकानों के होर्डिंग, पोस्टर तथा वाहनों आदि पर राजस्थानी भाषा का ही इस्तेमाल किया हुआ है। शादी-ब्याह के कार्ड से आगे बढ़कर अब जागरण सहित अन्य समारोह के न्यौते, मिठाई के डिब्बों, हेलमेट आदि के जरिए भी मायड़ भाषा को मान्यता देने की मांग ग्रामीण उठा रहे हैं।
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