हनुमानगढ़. जिले में सावन की झड़ी अब तक नहीं लगी है। शुरू में जिले में ज्यादातर जगह बारिश जरूर हुई। लेकिन संगरिया के कुछ इलाकों में बारिश नहीं होने से वहां फसलों पर विपरीत असर पड़ रहा है। दूसरी तरफ जिले में इंदिरागांधी नहर में पूरा पानी नहीं चलने से सिंचित क्षेत्र के किसानों के चेहरे पर भी बेचैनी नजर आने लगी है। बारानी के किसान भी बारिश की बाट जोह रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगले सप्ताह तक जिले में बरसात नहीं हुई तो खरीफ फसलों में कीट प्रकोप के बढऩे की आशंका है। क्योंकि इस समय अधिकतम तापमान ३८ से ४० डिग्री के आसपास है।
खरीफ फसलों के लिए ३४ से ३५ डिग्री तापमान उचित रहता है। बरसात होने पर फसलों में सिंचाई पानी की कमी दूर होने के साथ ही तापमान में भी गिरावट आएगा। इसलिए वर्तमान में बारिश बहुत जरूरी है। कृषि पर्यवेक्षक हनुमानगढ़ जगदीश दूधवाल ने बताया कि जिले में चालू वर्ष में १५८७०० हेक्टैयर में कपास की बिजाई हुई है। जबकि गत वर्ष २२६२०० हेक्टेयर में कपास की बिजाई हुई थी। खरीफ बिजाई के वक्त ही सिंचाई पानी की कमी के चलते कपास बिजाई का रकबा कम हो गया। वर्तमान में कपास की फसल फूल बनने व टिड्डी बनने की अवस्था में है। खरीफ फसलों के लिए यह समय काफी नाजुक है। क्योंकि बारिश के अभाव में अधिकतम तापमान में गिरावट नहीं हो रहा है। इससे फसलों में सिंचाई पानी की मांग बढ़ रही है।
खरीफ फसलों के लिए ३४ से ३५ डिग्री तापमान उचित रहता है। बरसात होने पर फसलों में सिंचाई पानी की कमी दूर होने के साथ ही तापमान में भी गिरावट आएगा। इसलिए वर्तमान में बारिश बहुत जरूरी है। कृषि पर्यवेक्षक हनुमानगढ़ जगदीश दूधवाल ने बताया कि जिले में चालू वर्ष में १५८७०० हेक्टैयर में कपास की बिजाई हुई है। जबकि गत वर्ष २२६२०० हेक्टेयर में कपास की बिजाई हुई थी। खरीफ बिजाई के वक्त ही सिंचाई पानी की कमी के चलते कपास बिजाई का रकबा कम हो गया। वर्तमान में कपास की फसल फूल बनने व टिड्डी बनने की अवस्था में है। खरीफ फसलों के लिए यह समय काफी नाजुक है। क्योंकि बारिश के अभाव में अधिकतम तापमान में गिरावट नहीं हो रहा है। इससे फसलों में सिंचाई पानी की मांग बढ़ रही है।
जिले में खरीफ बिजाई पर नजर
जिले में चालू वर्ष में ग्वार २५६७०० हेक्टैयर, बाजरा ४१७९०, धान ३३१५०, मूंग ९१०३०, मोठ ५३८७० हेक्टैयर में बिजाई हुई है। इन सभी फसलों को वर्तमान में सिंचाई पानी की आवश्यकता है। सिंचित और बारानी दोनों एरिया में फसलों को सिंचाई पानी की जरूरत है। नहरों में पहले ही मांग के अनुसार सिंचाई पानी नहीं मिलने से अब किसानों को बरसात का इंतजार है।
जिले में चालू वर्ष में ग्वार २५६७०० हेक्टैयर, बाजरा ४१७९०, धान ३३१५०, मूंग ९१०३०, मोठ ५३८७० हेक्टैयर में बिजाई हुई है। इन सभी फसलों को वर्तमान में सिंचाई पानी की आवश्यकता है। सिंचित और बारानी दोनों एरिया में फसलों को सिंचाई पानी की जरूरत है। नहरों में पहले ही मांग के अनुसार सिंचाई पानी नहीं मिलने से अब किसानों को बरसात का इंतजार है।
…….वर्जन….
अभी संगरिया के कुछ गांवों में जहां बीते माह भी बरसात नहीं हुई है, वहां फसलों को ज्यादा दिक्कत है। बाकी जगह इतनी दिक्कत नहीं। वर्तमान में पछवा हवा चल रही है। अगले सप्ताह या पखवाड़े तक बारिश नहीं हुई तो विपरीत असर पड़ सकता है। तापमान में बढ़ोतरी के कारण फसलों में सिंचाई पानी की मांग लगातार बढ़ रही है।
-दानाराम गोदारा, उप निदेशक, कृषि विभाग हनुमानगढ़
अभी संगरिया के कुछ गांवों में जहां बीते माह भी बरसात नहीं हुई है, वहां फसलों को ज्यादा दिक्कत है। बाकी जगह इतनी दिक्कत नहीं। वर्तमान में पछवा हवा चल रही है। अगले सप्ताह या पखवाड़े तक बारिश नहीं हुई तो विपरीत असर पड़ सकता है। तापमान में बढ़ोतरी के कारण फसलों में सिंचाई पानी की मांग लगातार बढ़ रही है।
-दानाराम गोदारा, उप निदेशक, कृषि विभाग हनुमानगढ़