31 अगस्त को पाण्डरी निवासी फरियादी ने ऊमरी थाना पुलिस को बताया था कि उसका ११ वर्षीय लड़का जो कक्षा ६ में पढ़ता है, 30 अगस्त से खेलने की कहकर गया था, जो वापस नहीं आया। मामला नाबालिग से सबंधित था इसलिए पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धारा ३६३ आईपीसी का अपराध पंजीबद्ध किया।
एसपी अनिलसिंह कुशवाह ने बताया कि डीएसपी राकेश छारी के मार्गदर्शन में अपहृत बच्चे की तलाश शुरू हुई। पुलिस ने इस दौरान पाण्डरी के लोगों के साथ संभावित स्थानों पर दिन रात सर्चिंग कर बालक की तलाश की। 1 सितंबर को पाण्डरी के सुमेर जाटव ने बताया कि सुबह जब वह जगल में लकड़ी लेने गया तो महावीर की नरी में उसका पैर किसी चीज पर पड़ा जहां से मक्खियां उडऩे लगीं तो उसने देखा कोई अज्ञात शव मिट्टी में दबा पड़ा है, जिसका घुटना दिख रहा है।
ऊमरी पुलिस ने तत्काल मौके पर जाकर शव को जब्त कर लिया। शव की पहचान कपड़े व हुलिया के आधार पर मासूम के रूप में हुई। मौके पर उसका पेन्ट उतरा था, पुलिस को उसके साथ दुष्कृत्य होने का शक हुआ।
इसके बाद पुलिस ने गांव में जांच की तो पता चला कि मृतक अंतिम बार हरिओम राजावत निवासी पाण्डरी के साथ खेलते देखा गया था। पुलिस ने हरिओम से सख्ती से पूछताछ की तो उसने बताया कि ३० अगस्त को बालक तौरी खेलने के लिए उसके पास आया था। तौरी खेलने के बाद वह उसको ककोरा तोडऩे के बहाने महावीर की नरी में ले गया, जहां उसने उसके साथ दुष्कृत्य किया।
बालक ने जब यह बात अपने घर बताने की कहा, तो हरिओम ने उसी के बेल्ट से उसका गला घोंट दिया व शव को मिट्टी में दबा दिया। हत्या करने के बाद आरोपी पुलिस की हर गतिविधि पर नजर रखने लगा, लेकिन शुक्रवार को वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। इस अंधे कत्ल की गुत्थी सुलझाने में डीएसपी हैडक्वार्टर राकेश छारी के अलावा, थाना प्रभारी ऊमरी गोपालसिंह सिकरवार व थाना के अन्य पुलिस जवानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। पुलिस अधीक्षक ने पूरी टीम को नकद पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की है।