आज patrika.com आपको world heritage day के अवसर पर इन दोनों की जगहों की खासियत बताने जा रहा है….
पहले बात करते है ओरछा कि, यह 16वीं शताब्दी में बुंदेला साम्राज्य की राजधानी रहा है। यह शहर अपने किले के लिए पहचाना जाता है। बात दें कि इस किले का निर्माण साल 1501 में राजा रुद्र प्रताप सिंह द्वारा कराया गया था। इस किले के अंदर मंदिर एक मंदिर भी है।
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यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। यहां राम भगवान नहीं वरन ओरछा राज्य के राजा के रूप में पूजे जाते हैं और आज भी उन्हीं का शासन ओरछा में चलता है। यह जगह राज महल, जहांगीर महल, रामराजा मंदिर, राय प्रवीन महल, लक्ष्मीनारायण मंदिर एवं कई अन्य प्रसिद्ध मंदिरों और महलों के लिए विख्यात है।
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यहां हर साल औसतन पांच लाख से अधिक धर्म जिज्ञासु स्वदेशी पर्यटक आते हैं और लगभग बीस हजार से अधिक विदेशी पर्यटक ओरछा की पुरातात्विक महत्व के खूबसूरत महलों, विशाल किले, शीश महल, जहांगीर महल, रायप्रवीण महल, लक्ष्मी मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, बेतवा नदी के तट पर स्थित छतरियों और नदी किनारे के जंगल मे घूमने वाले जानवरों की अटखेलियां सहित अनेक ऐतिहासिक इमारतों को निहारने के लिए प्रतिवर्ष आते हैं। फिलहाल कोरोनाकाल में कई धरोहरों में जाने में प्रतिबंध लगा दिया गया है
किले और महल हैं ग्वालियर की शान
ग्वालियर मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक है। 9वीं शताब्दी में स्थापित ग्वालियर गुर्जर प्रतिहार राजवंश, तोमर, बघेल कछवाहों और सिंधिया शासन की राजधानी रहा है। इन राजवंशों द्वारा बनाई गई इमारतें, किले और महल आज भी ग्वालियर में मौजूद हैं।
बता दें कि विश्व धरोहर शहरों की सूची में आने के बाद ग्वालियर के मानसिंह पैलेस, गूजरी महल और सहस्रबाहु मंदिर के अलावा अन्य धरोहरों का रासायनिक रूप से परिशोधन किया जाएगा। ये शहर यहां के किले के लिए भी खास है। ग्वालियर किले का निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था. तीन वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले इस किले की ऊंचाई 35 फीट है।
यह किला मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूनों में से एक है. यह ग्वालियर शहर का प्रमुख स्मारक है जो गोपांचल नामक छोटी पहाड़ी पर स्थित है। लाल बलुए पत्थर से निर्मित यह किला देश के सबसे बड़े किले में से एक है और इसका भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है।