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अस्पताल की दहलीज पर उखड़ी महिला की सांसें
ग्वालियर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर मानपुर की रहने वाली चंदाबाई को उसके दोनों बेटे तबीयत बिगड़ने पर बाइक से ही शनिवार को जया रोग्य अस्पताल लेकर पहुंचे थे। उन्हें उम्मीद थी कि एक बार अस्पताल पहुंच गए तो मां की जिंदगी बच जाएगी। वो रास्तेभर मां को दिलासा दे रहे थे कि बस कुछ देर में अस्पताल पहुंच जाएंगे और सब ठीक हो जाएगा। लेकिन अस्पताल में जो हुआ उसकी उम्मीद शायद उन्हें नहीं थी।
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बाइक से मां को अस्पताल लेकर पहुंचे बेटे नकुल ने बताया कि जब वो मां को लेकर अस्पताल पहुंचे तो मां की तबीयत बेहद खराब थी। उन्होंने डॉक्टर व स्टाफ से मदद की गुहार लगाई लेकिन किसी ने उनकी फरियाद नहीं सुनीं। वो मां को बचाने की गुहार लगाते रहे लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया और अस्पताल के गेट पर ही मां चंदाबाई ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि महिला की मौत के बाद भी अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोई प्रयास नहीं किया गया और न ही कोरोना गाइड लाइन के तहत शव को पैक किया गया। किसी तरह प्राइवेट वाहन कर बेटे मां के शव को लेकर अस्पताल से अपने घर लौटे।
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24 घंटों में तीसरी बार सुर्खियों में आया अस्पताल
बता दें कि बीते चौबीस घंटों में ये तीसरा मामला है जब जयारोग्य अस्पताल की लापरवाही या बेहाली सामने आई है। इससे पहले शुक्रवार को जयारोग्य के ही एक सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में कोरोना संक्रमित युवक की मौत के बाद परिजन ने अस्पताल प्रबंधन पर मानव अंगों की तस्करी करने के आरोप लगाए थे। उनका आरोप था कि शव की आंख और नाक से खून निकल रहा है और आंख की जगह पर गड्ढे हैं। वहीं शुक्रवार की ही रात को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन और बेड की कमी के चलते हंगामा हुआ था और दो मरीजों की मौत भी ऑक्सीजन की कमी से हुई थी। इतना ही नहीं बीती रात ही कोविड प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर व जिला प्रशासन ने मरीजों को ऑक्सीजन और बेड दिलाने का आश्वासन दिया था जो महज कुछ घंटों बाद ही टूटता हुआ नजर आया और अस्पताल के गेट पर ही महिला ने इलाज के अभाव में तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया।
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