इस स्टेशन पर दिनभर में छह नैरोगेज टे्रनों का संचालन होता है। रात को सबसे आखिरी ट्रेन का समय सबलगढ़ से रात 7.40 बजे आने का है, लेकिन दो साल से ट्रेन रात 9 बजे तक ही आ पाती है। इसके बाद ही स्टेशन बंद होता है। स्टेशन पर बिजली की व्यवस्था न होने से वहां अंधेरा पसरा रहता है। ऐसे में महिला कर्मचारी कहीं से भी सुरक्षित नहीं थी। वहीं रेलवे अभी तक महिला बुकिंग क्लर्क की भी नियुक्ति नहीं कर पाई थी। इसके चलते दोनों ही महिलाओं पर वर्कलोड ज्यादा था।
अंधेरा होते ही नशेड़ी होते हैं जमा
पीने के पानी की नहीं सुविधा
इस स्टेशन पर यात्रियों के साथ रेलवे कर्मचारियों के लिए पीने के पानी की कोई भी व्यवस्था नहीं है। पानी के लिए स्टेशन पर कुछ मटके रखकर लोग अपनी प्यास बुझा लेते हैं, लेकिन गर्मी में यहां पर पानी की बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। ऐसे में महिला कर्मचारियों को यहां तैनात करने से पहले सभी व्यवस्थाएं पूरी करना थी।
आरपीएफ से नहीं मांगा था स्टाप
आनंद पांडेय, टीआई, आरपीएफ
घोसीपुरा स्टेशन पर तैनात महिला कर्मचारियों को अपरिहार्य कारणों से हटाया गया है। जल्द ही महिला कर्मचारियों की व्यवस्था करके घोसीपुरा महिला स्टेशन पर महिलाओं की व्यवस्था कराई जाएगी। मनोज कुमार सिंह, पीआरओ