ग्वालियर। जल संकट की आहत से निगम अफसरों ने शहर में एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई के लिए कोर्ट से गुहार लगाने की तैयारी की है। लेकिन जो पानी शहर में सप्लाई हो रहा है, उसका सदपयोग किया जाए, इसको लेकर अभी तक अफसरों ने कोई मशक्कत नहीं की, जबकि शहर में पानी लाने से अधिक पानी की बचत करने की जरूरत है। पानी का मास्टर प्लान ही 13 लाख की आबादी को स्वावलंबी बना सकेगा, लेकिन निगम के इंजीनियरों व जनप्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है, जिससे शहर में सप्लाई होने वाला पानी उपयोग से अधिक बर्बाद हो रहा है। यह भी पढ़ें- ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न और कष्टों से पाएं मुक्ति निगम ऐसे कर सकता है मास्टर प्लान की तैयारी लीकेज : लीकेज सुधारने के लिए कंट्रोल रूम नहीं है, जहां कॉल कर पानी की बर्बादी को रोकने के लिए प्रयास किए जा सकें। जिससे लीकेज से पानी बहता रहता है। कुएं-बावड़ी: शहर में एक सैकड़ा से अधिक कुएं और बावडिय़ां हैं, जिनमें आसपास के भवनों की छतों के पानी को सप्लाई कर फिर से रीचार्ज किया जा सकता है। बांध : स्वर्ण रेखा में पानी भरने से बांध क्षेत्र में बने अवैध मकानों को खतरा पैदा हो जाएगा। अगर बांध भर जाए तो लश्कर द. का वॉटर लेवल बढ़ेगा। हार्वेस्टिंग : प्रत्येक भवन में हार्वेस्टिंग हो इसके लिए कड़ाई से कार्रवाई करनी होगी, जहां नहीं हो सकती उसके आसपास के क्षेत्रों में हार्वेस्टिंग कराई जा सकती है। कार्रवाई : अभी तक पानी की बर्बादी करने वालों के खिलाफ निगम की ओर से कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है, जिससे लोगों में पानी की बचत को लेकर ज्यादा रुझान नहीं है। अभियान चलाकर पॉश कॉलोनियों के साथ ही गली मोहल्लों में भी कार्रवाई की जाए, जिससे सुधार आ सके। यह भी पढ़ें- चंबल किनारों पर अब नहीं चल सकेंगे वाहन इन छोटे-छोटे उपायों से भी बच सकता है पानी टॉयलेट में उपयोग: सिटी सेंटर स्थित एक कॉलोनी में सीवरेज के पानी को ट्रीट कर पुन: मल्टी के ऊपर पहुंचाया जाता है। जहां एक टैंक में स्टोर किया जाता है जो फ्लैटों के टॉयलेट्स में उपयोग किया जाता है, जिससे 5-7 ली. पानी की बचत होती है। इस प्रक्रिया से जहां टॉयलेट और ग्रीनरी के लिए शुद्ध पानी को बहाने से बचाया जा रहा है। वहीं कॉलोनी का वॉटर लेवल भी मेनटेन बना हुआ है। ग्रीनरी में उपयोग: जब पानी अधिक हो जाता है। तो उसे ट्रीट कर कॉलोनी के गार्डन में उपयोग किया जाता है, जिससे इस कॉलोनी की ग्रीनरी आसपास के क्षेत्र की अपेक्षा अधिक घनी हो रही है और सुंदर लग रही है। यह भी पढ़ें- मदद मांगने आए बच्चों से पुलिस बोली “जब पिटाई हो जाए तब आना” यह है जरूरी एक ही पानी मिले: जिन क्षेत्रों में तिघरा और बोरिंग का पानी सप्लाई हो रहा है। वहां बोरिंग को पूर्ण रूप से बंद किया जाए, ताकि जल संकट के दौरान भूमि के जल का उपयोग किया जा सके। वहीं बोरिंग की जगह हैंडपंप लगाए जाएं, ताकि पानी की बर्बादी को रोका जा सके। शिक्षा और जागरुकता: पानी बचाने के छोटे-छोटे उपायों से स्कूली छात्रों को अवगत कराकर उन्हें जागरुक किया जा सकता है। यही क्रम कॉलेज स्तर पर जारी रहे। प्रैक्टिकल में इसे जोड़ा जाए इसके साथ ही व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जाए।