ग्वालियर

मातृ भाषा हिन्दी: हिंदी भाषा को बढ़ावा देने की जरूरत, संविधान में मिले राज भाषा का सम्मान

हिंदी का गौरव और बढ़ाने जरूरी हिंदी को भले ही संविधान में राज्य भाषा का दर्जा प्राप्त हो। सरकार की ओर से हिंदी को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह के प्रयास

ग्वालियरSep 14, 2017 / 01:14 pm

Gaurav Sen

ग्वालियर। हिंदी का गौरव और बढ़ाने जरूरी हिंदी को भले ही संविधान में राज्य भाषा का दर्जा प्राप्त हो। सरकार की ओर से हिंदी को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हों, लेकिन जमीनी स्तर पर नतीजे बिल्कुल अलग हैं। हिंदी पढऩे और समझने में लोगों की रूचि खत्म सी दिख रही है।

 

अपनी मातृ-भाषा हिंदी को बचाने के लिए हम सब को अपनी बोलचाल में मातृ भाषा हिन्दी को अपनाकर सम्मान देना होगा। खास तौर पर इसमें युवा वर्ग को जोडऩा होगा, जो अपनी लैंग्वेज से आज की नई जनरेशन को अपनी पूंजी के बारे में समझा सकें। हालांकि लंबे समय से शहर के शिक्षाविद् हिंदी को बढ़ावा देने के लिए काम करते आ रहे हैं। उन्हें देखकर कुछ युवा भी आगे आए हैं, तो कुछ संस्थाओं ने भी कमान संभाली है। हिंदी दिवस के अवसर पर हम आपको शहर के कुछ एेसे ही चेहरों से परिचित करा रहे हैं।

 

हिन्दी से जोड़ता पुस्तकालय
मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा पुस्तकालय में हिंदी के विद्वानों की करीब ३००० पुस्तकें हैं। यहां रोज करीब २५ पाठक आते हैं, 501 रुपए में एक साल का रजिस्ट्रेशन, पुस्तकालय में पढऩा फ्री।

तैयार कराया विश्व का पहला हिंदी माता मंदिर
पे शे से वकील विजय सिंह चौहान ने हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए बहुत काम किया। उन्होंने 20साल पहले राष्ट्रपति भवन तक रथ यात्रा निकाली। सन् 1994 में विश्व का पहला हिंदी माता मंदिर बनवाया। देशभर में 50 से अधिक हिंदी सम्मेलन कराए व 2100 हिंदी सेवियों को सम्मान कराया। हस्ताक्षर अभियान चलाकर एक लाख हिंदी प्रेमियों को जोड़कर राष्ट्रपति के समक्ष पेश किया। ग्वालियर हाईकोर्ट में 80 परसेंट हिंदी का चलन इन्हीं के द्वारा कराया गया। विजय सिंह चौहान, अध्यक्ष, अभिभाषक मंच

इंग्लिश पुस्तकों का हिंदी अनुवाद
प्रेमचन्द्र सृजन पीठ उज्जैन के निदेशक एवं शिक्षाविद् जगदीश तोमर कई इंग्लिश पुस्तकों का हिंदी अनुवाद कर चुके हैं। उन्होंने हिंदी विद्वान के सम्मान की शुरुआत सम्मान समारोह के साथ की, जो हर हिंदी दिवस पर मनाया जाता है। इसके साथ ही लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए एक पौध खड़ी की, जो आज फल-फूल रही है। वह हिंदी को प्रमोट करने के लिए देशभर में लेक्चर दे चुके हैं। कहानी संग्रह, बाल कविता, बाल उपान्यास, लेख का प्रकाशन हो चुका है।
जगदीश तोमर, शिक्षाविद्


केवल हिंदी कार्यक्रमों में होते हैं शामिल
शि क्षाविद् दिवाकर विद्यालंकार हिंदी के क्षेत्र में देशभर का भ्रमण कर चुके हैं। उनका आकाशवाणी में चिंतन कार्यक्रम प्रतिदिन आता है। कई कार्यक्रमों में वह अतिथि के रूप में बुलाए जाते हैं, लेकिन जाते उसी में हैं, जो हिंदी कार्यक्रम होता है। वह निबंध, कविता के कई संग्रह लिख चुके हैं। कई पुस्तकों की आलोचना एवं समीक्षा कर चुके हैं। एमएलबी में प्रिंसिपल के दौरान भी वह पूरा काम हिंदी में ही करते थे।
दिवाकर विद्यालंकार, शिक्षाविद्

हिंदी से लोगों को जोडऩे खुद जुड़े संस्था से
मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा के सहमंत्री संजय जोशी शुरू से ही हिंदी प्रेमी रहे। उन्होंने जब हिंदी के प्रति लोगों के रुख को देखा, तो पहले खुद को संस्था से जोड़ा और इसके बाद संस्था से लोगों को जोडऩे की शुरुआत कर दी। मेंबरशिप लेने के साथ ही लोगों का इंट्रेस्ट हिंदी की ओर बढ़ा। वह हिंदी लिखना, पढऩा और बोलने की आदत बनाई। आज संस्था से लगभग 170 लोग जुड़े हैं।
संजय जोशी, सहमंत्री, म. भा. हिंदी साहित्य सभा

उत्थान की बातें खेल से पढ़ाया पाठ
& बच्चों को हिंदी हार्ड लगती है। यही कारण है कि वह हिंदी की तरफ मूव कर जाते हैं। इसके लिए मैं एक्टिविटी मैथेड अपनाता हूं। प्रैक्टिकली नॉलेज में मेरा फोकस अधिक रहता है।
यूएस तोमर, शिक्षक

कवि सम्मेलन से प्रमोशन
क्लासरूम में बच्चों को हिंदी पढ़ाने के अलावा हिंदी को प्रमोट करने के लिए अलग से क्लासेस भी लेती हैं। वह कई कवि सम्मेलन, प्रश्न मंच, कॉम्पीटिशन में पार्टिसिपेट कर हमेशा हिंदी के उत्थान की बातें करती हैं। उनका हिंदी की पुस्तकों पर काम चल रहा है।
दीप्ति गौड़, शिक्षक

वीडियो से डवलप कर रहे हिंदी में इंट्रेस्ट
भाषा सभी अच्छी हैं, जरूरत है उन्हें रोचक बनाने की। किसी भी भाषा में इंट्रेस्ट बचपन से डाला जा सकता है। इसके लिए मैं छोटे क्लास में ही स्टूडेंट्स को यू ट्यूब पर वीडियो के माध्यम से हिंदी के प्रति रूचि पैदा करता हूं।

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