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ज्यादातर के पैर में गंभीर चोट आई हैं और कुछ की हड्डी टूट गई है,उन्हें रात में ही जेएएच में भर्ती कराया गया। ट्रॉला चालक को आगरा जाना था,लेकिन जलालपुर से रायरू बाइपास से निकलने की कोशिश में सोमवार रात 12:45 बजे गंगा मालनपुर के पास रेल पटरियों पर पहुंच गया। आगे रास्ता बंद होने से ट्रॉले को वापस मोडऩे की कोशिश की, अंधेरे में पटरी नहीं देख पाया और ट्रॉले का पिछला पहिया पटरी और सडक़ के बीच नाली में फंस गया,तभी ट्रेन आ गई। ट्रेन ग्वालियर से रवाना होने के बाद रफ्तार पकड़ ही रही थी, तभी अचानक जोर की आवाज के साथ धक्का लगा। इससे ट्रेन में चीखपुकार मच गई। दोनों जनरल बोगियों में गेट पर बैठे सभी लोग जख्मी थे,उन्हें खून से लथपथ देख दूसरे यात्री घबरा गए और ट्रेन के रायरू स्टेशन पर पहुंचने पर चेन खींच दी।
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डीआरएम पहुंचे अस्पताल, घायलों को 25-25 हजार की मदद
ट्रेन हादसे में घायल सात यात्रियों को देखने के लिए मंगलवार की सुबह झांसी मंडल के डीआरएम संदीप माथुर अन्य अधिकारियों के साथ जेएएच के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। घायलों के स्वास्थ्य के बारे में उन्होंने डॉक्टरों से चर्चा की। सात में से छह यात्रियों के अधिकांश के पैर और हाथ की हड्डी में फ्रैक्चर हुई है और एक को छुट्टी दे दी गई। घायल यात्रियों को रेलवे झांसी मंडल द्वारा 25-25 हजार रुपए दिए गए हैं। एक यात्री जिसके चोट कम आई है उसे 5 हजार रुपये की सहायता दी गई है।
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जांच टीम आज आएगी
रेलवे ट्रैक पर ट्रॉला कैसे आया, इसमें किसकी गलती है। इसे देखने के लिए बुधवार को सेफ्टी से जुड़े अधिकारी आएंगे। इनमें लखनऊ से(सीआरएस) चीफ रेलवे सेफ्टी कमिशनर के साथ इलाहाबाद से (सीएसओ) मुख्य सुरक्षा अधिकारी आएंगे। यह अधिकारी घटना स्थल पर जाने के साथ रेलवे स्टेशन पर भी संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों से पूछताछ करेंगे। वहीं अस्पताल में रेलवे ने घायलों के लिए खाना भी भिजवाया।
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मोदी को बधाई देने से पहले हादसान्यू डिफेंस कॉलोनी निवासी रवि डागर ने बताया कि एयरफोर्स में प्राइवेट नौकरी करते हैं, कश्मीर से धारा 370 हटाने पर पिता गोपाल डागर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई देने के लिए 60 फीट के बैनर पर लोगों से बधाई संदेश और हस्ताक्षर कराए हैं। पिता बैनर लेकर टीम के साथ पैदल दिल्ली चले गए थे। 2 अक्टूबर को बैनर पीएम मोदी को देना है, उसे भी इसमें शामिल होने दोस्तों के साथ जा रहा था। गेट पर खड़े थे, ऐसा लगा किसी ने उंगलियों पर धारदार चीज मार दी है, नीचे गिरे, लेकिन पीछे खड़े यात्री ने कॉलर पकड़ खींच लिया। दोस्त दिलप्रीत भी दर्द से चीख रहा था, दोनों के पैर टूट चुके थे। रात में 108 एंबुलेंस घायलों को तुरंत इलाज के लिए ले आई, लेकिन मंगलवार शाम तक रवि का आपरेशन नहीं हो सका था।
शॉर्टकट के चक्कर में फंसा ट्रॉला
पुलिस के मुताबिक ट्रॉला (एपी 07 ईएच 7569) बिरलानगर में सीमेंट उतार कर आया था, उसे आबूशुभानी शेख पुत्र मस्तान निवासी इंद्रानगर, पल्लीचेसु गुंटूर चला रहा था। उसने पुलिस को बताया कि उसे आगरा जाना था, इसलिए मलगढ़ा होकर जलालपुर चौराहे तक पहुंचा, वहां राहगीरों से रायरू बाइपास का रास्ता पूछा तो उसे जलालपुर के शॉर्टकट से निकलने की सलाह दी गई, इस पर वह चला आया। आगे पटरियों के पास रास्ता बंद मिला तो वापस जाने के लिए ट्रॉले को मोडऩे की कोशिश की, वहां सडक़ का निर्माण चल रहा है, इसमें कच्चे रास्ते में पिछला पहिया पटरियों और सडक़ के बीच नाली में फंस गया।
जोगेन्द्र सिंह पुत्र लाखन सिंह निवासी अकोला आगरा, रवि पुत्र गोपाल डागर निवासी महाराजपुरा ग्वालियर, दिलप्रीत पुत्र जगपाल सिंह वायुनगर, अमित पुत्र धनीराम निवासी सागर, नितिन पुत्र कृष्णकुमार निवासी आगरा, मनीष पुत्र रमेशचंद्र निवासी अचनेरा, आगरा, आशीष कुमार पुत्र ध्रुविल निवासी आगरा घायल हुए हैं।
अशीष कुमार निवासी मथुरा ने बताया कि झांसी में संघ लोक सेवा आयोग का पेपर देकर घर लौट रहे थे। जनरल बोगी में अंदर भीड़ होने से गेट पर बैठ गए। ट्रॉला का पिछला हिस्सा घुटने से टकराया तो हड्डी टूट गई। असहनीय दर्द से बेहोश हो गए, पता नहीं चला कब मुसाफिरों ने पीछे खींच लिया।
अचनेरा, आगरा निवासी मनीष पुत्र उमेशचंद्र ने बताया कि वह संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा देकर लौट रहे थे। गेट के पास खड़े थे, ट्रॉले की टक्कर से डिब्बा लडखड़़ा गया, कुछ समझ पाते इससे पहले टे्रन का गेट तेजी से बंद हुआ, उससे टकराकर पैर फंस गया और हड्डी टूट गई। जानकारी मिलने पर परिजन भी आगरा से ग्वालियर आ गए। दोपहर में पैर का ऑपरेशन हो गया।