जिनकी गाड़ी में तोडफ़ोड़ की, उन्होंने नहीं की पहचान, 2 अप्रैल की हिंसा में शामिल 7 आरोपी दोषमुक्त
अपर सत्र न्यायालय ने 2 अप्रैल 2018 की हिंसा के 7 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। पुलिस ने जिन लोगों की गाड़ी में तोडफ़ोड़ के आरोप में सातों को पकड़ा था, उन गवाहों ने आरोपियों की पहचान नहीं की। इस कारण केस संदिग्ध हो गया। आरोपियों को इसका फायदा मिला।
जिनकी गाड़ी में तोडफ़ोड़ की, उन्होंने नहीं की पहचान, 2 अप्रैल की हिंसा में शामिल 7 आरोपी दोषमुक्त
दरअसल सुप्रीम कोर्ट से एट्रोसिटीज एक्ट में गिरफ्तार नहीं किए जाने का आदेश आने पर देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। ग्वालियर में भी 2 अप्रैल 2018 को प्रदर्शन किए गए। इसी बीच प्रदर्शन हिंसक हो गया। गाडिय़ों में तोडफ़ोड़, आगजनी सहित पुलिस पर पथराव किया गया। राजवीर जाटव, मनीष संकवार, जितेंद्र जाटव, योगेश मिलन, संजीव जाटव, राजू सिंह, विनोद श्रीवास्तव सरकारी बस स्टैंड पर पहुंचे। यहां पर खड़े वाहनों में तोडफ़ोड़ की और आगजनी की घटना को अंजाम दिया। शासकीय संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने इन्हें बलपूर्वक मौके से खदेड़ा। पुलिस केस दर्ज कर संदिग्धों को गिरफ्तार किया और न्यायालय में चालान पेश किया। पुलिस ने अपने गवाह पेश किया, जिन्होंने अभियोजन कहानी का समर्थन नहीं किया। इसके अलावा आरोपियों की गिरफ्तारी भी संदिग्ध रही। न्यायालय में गवाहों ने आरोपियों को पहचाने से मना कर दिया, जिसके चलते सात आरोपी दोषमुक्त हो गए। इससे पहले भी 2 अप्रैल की हिंसा के आरोपी दोषमुक्त हो चुके हैं। ये साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त हुए हैं।
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